Thursday 6 August 2020

रसिका आगाशे की कविताएँ


मैं .. बारिश .. उदासी


1.

 

आज मैं उदास हूँ

ग़ुस्सा, आक्रोश, चाह ये रोज़ का ही

उदासी कभी कभी ही आती है

बारिश की तरह



रोकर भी हल्का ना होने वाला मन

आसमान बन जाता है

और फिर सिर्फ़ ठंडी

काली ज़हरीली वर्षा



उदासी जैसे जम जाती है

पैनी जगह धंसी

चकमक पत्थर सी

ऐसे पत्थर को हाथ लगाया है कभी?

घिसने से पहले तक ..ठंडा !



ऐसे लफ़्ज़ के पीछे लफ़्ज़

किसी लहर की तरह टकराते रहते हैं

और उदासी अंतहीन..

मुट्ठी में समाती ही नहीं



कल सुबह होगी

कामकाज की भगदड़..

और ये उदासी

किसी नागिन की तरह बल खाती

मन के किसी कोने में छिप बैठेगी

फिर उसपर जानकारी का कचरा जाम होगा

दुनियाबी जानकारी

उदासी दब जाएगी

पहचान पुरानी होने तक वो दम खाएगी

और फिर अपना फ़न निकालेगी..

बार बार डसने के लिए

बारिश हो या ना हो ..



2.

मैं चादर ओढ़े बैठूँ

और चार लोग मुझे मिलने आये

थोड़ी गपशप करे

थोड़ा मेरा ख़याल करे

क्या तब तक 

मैं इस अकेलेपन के अंधेरे से

बाहर निकल चाँदनी ओढ़ पाऊँगी?

मेरे बहोत दोस्त हैं

सब जगह

एक भरापुरा परिवार

कैसे समझाऊँ के फिर भी 

काटने आता है ये अकेलापन 

 

कुछ टूटा हुआ सा  घर मेरा 

ईंट पे उग आए पीपल की तरह

ज़िद से फूटा बचपन मेरा

और भीड़ रिश्तेदारों की

जिसमें खो जाती थी

जैसे जिल्द में दबे पन्ने 

सबकी प्यारी सबकी दुलारी

ये शब्द दबोच लेते थे

ज़िम्मेदारी की तरह 

और अब भी सब जैसा का तैसा

कैसे समझाऊँ

काटने आता है ये अकेलापन

3.

हमें लगता है के अब समझदारी  आ गयी 

पर ख़ून कभी समझदार नहीं हो पाता

बालों के सफ़ेदी के साथ

छुपाना चाहते है हर सफ़ेद स्त्राव 

हर इंसान कपड़ों के नीचे है नंगा 

और हर औरत.. चाहे कुछ पहन ले ..

अपनी नंगाई को कभी स्वीकार ना कर पाने वाले,

डरे सहमे जानवरों का  झूँड  है हम

और हमें बस पड़ी है.. समझदार होने की

लड़ाई झगड़े बलात्कार सड़क पर 

खुले आम करनेवाले हम

बस प्यार छुपा लेते हैं..

क्यूँकि हम समझदार है 

और ख़ून में  आया उबाल 

बार बार हमें जताता रहता..

जिसका दमन करना सिखाया गया है बस!

अपने आप को व्यक्त करते  में 

अपने शरीर से हार जाती हूँ मैं

और रुमानी कविता की जगह 

सामाजिक लेखा जोखा लेकर

समझदार होने का 

पोशाख ओढ़ लेती हूँ

जानते हुए के अंदर से उतनी ही नंगी हूँ

जितना ये आसमान या धरती 

 

रसिका आगाशे

अभिनेत्री, नाट्य निर्देशिका, लेखिका । राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की स्नातक रसिका ने हिंदी, मराठी, अंग्रेज़ी में कई नाटक, निर्देशित किए हैं, अभिनय किया है तथा टीवी और सिनेमा से जुड़ी रही है |

 

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