इस शिक्षक दिवस पर
‘स्पर्श’ पर आज ‘विशेष’ के
अंतर्गत प्रस्तुत है डॉ नूतन डिमरी गैरोला की कहानी ‘मास्टर साहब’ :
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"सर ! फीस तो सिर्फ पच्चासी रूपये हैं मैंने तो आपको पांच सौ रूपये का नोट दिया है, बाकी रूपये मुझे माँ को वापस करने हैं | प्लीज़ सर, वो रूपये मेरे लिए जरूरी हैं |" पर मास्टर साहब जी थे कि कोई जवाब नहीं दे रहे थे और कॉपी चेक करने में तल्लीन थे | सुधीर अपने क्लास टीचर श्री विजयप्रकाश जी (वी प्रकाश / वी पी) से विनती कर सहमा सहमा गिङगिङाया -"सर ! मेरे रूपये", लेकिन मास्टर साहब के कानों में जूँ भी न रैंगी | थकाहारा सुधीर स्टाफ रूम से बाहर निकला जहाँ पहले से ही उसके मित्र सुएब, रतन, देबोषीश, प्रांजल खड़े इन्तजार कर रहे थे | सुधीर को देख कर उनकी बांछे खिल आई |
उनमें से एक बोला - आज तो किसी अच्छे रेस्टोरेंट में जा कर स्नेक्स लेंगे| चल यार, बाद के चार पीरियड छोड़ देते हैं, आज “सिटी इंट्रो” में नयी रेसीपीस चखेंगे और वही से नजदीक के किसी गेम पार्लर खूब मस्ती करेंगे | फिर छुट्टी के समय घर पहुँच जायेंगे”- सुएब था वह | सुधीर का चेहरा उतरा हुआ था | देबोषीश अचंभित हो कर बोला - "क्या बात है सुधीर तेरा चेहरा इतना क्यों उतरा हुआ है |" सुधीर लंबी सांस ले कर बोला –" देबू, क्या कहूँ यार इस 'वीपी' ने तो मेरे पैसे लौटाये ही नहीं | कान में तेल पड़ गया है उनके | तुम लोग चले जाओ | आज मुझे पैसे वसूलने हैं मा’साब से, मैं क्लास में ही हूँ |" वह क्लास की ओर मुड़ गया |
"सर ! फीस तो सिर्फ पच्चासी रूपये हैं मैंने तो आपको पांच सौ रूपये का नोट दिया है, बाकी रूपये मुझे माँ को वापस करने हैं | प्लीज़ सर, वो रूपये मेरे लिए जरूरी हैं |" पर मास्टर साहब जी थे कि कोई जवाब नहीं दे रहे थे और कॉपी चेक करने में तल्लीन थे | सुधीर अपने क्लास टीचर श्री विजयप्रकाश जी (वी प्रकाश / वी पी) से विनती कर सहमा सहमा गिङगिङाया -"सर ! मेरे रूपये", लेकिन मास्टर साहब के कानों में जूँ भी न रैंगी | थकाहारा सुधीर स्टाफ रूम से बाहर निकला जहाँ पहले से ही उसके मित्र सुएब, रतन, देबोषीश, प्रांजल खड़े इन्तजार कर रहे थे | सुधीर को देख कर उनकी बांछे खिल आई |
उनमें से एक बोला - आज तो किसी अच्छे रेस्टोरेंट में जा कर स्नेक्स लेंगे| चल यार, बाद के चार पीरियड छोड़ देते हैं, आज “सिटी इंट्रो” में नयी रेसीपीस चखेंगे और वही से नजदीक के किसी गेम पार्लर खूब मस्ती करेंगे | फिर छुट्टी के समय घर पहुँच जायेंगे”- सुएब था वह | सुधीर का चेहरा उतरा हुआ था | देबोषीश अचंभित हो कर बोला - "क्या बात है सुधीर तेरा चेहरा इतना क्यों उतरा हुआ है |" सुधीर लंबी सांस ले कर बोला –" देबू, क्या कहूँ यार इस 'वीपी' ने तो मेरे पैसे लौटाये ही नहीं | कान में तेल पड़ गया है उनके | तुम लोग चले जाओ | आज मुझे पैसे वसूलने हैं मा’साब से, मैं क्लास में ही हूँ |" वह क्लास की ओर मुड़ गया |
दूसरे दिन स्कूल की प्रार्थना से पहले चारों दोस्त फिर एक थे |
सुधीर उनके ऐश की बातें सुन कर दुखी था कि कल उसको मास्टर साहब की
वजह से कितना नुक्सान हुआ | आज मास्टर साहब से रूपये ले कर
क्लास बंक कर दूँगा | वह सोच ही रहा था कि तभी पीछे से आवाज
आई – “ सुधीर क्या तूने कल की क्लास अटेंड की” कक्षा का पढ़ाकू चश्मिश (अनुपम) उस से पूछ रहा था | सुधीर
बोला – हाँ, बोल क्यों पूछ रहा है?
अनुपम बोला - कल तबियत खराब थी सो स्कूल नहीं आ पाया था कल |
सच बोलूं तो, सुधीर तू नोट्स साफ़ लिखता है और
तेजी से भी पूरा लिख लेता है | तेरे लिखे नोट्स चाहिए |
पर हाँ, अगर तुने क्लास अटेंड की हो तब न|
सुधीर जोर जोर के हंसा और नटखटपने में अनुपम की हंसी उड़ाते हुए बोला
- क्या तुझे फेल होना है जो मेरी संगत करने चला है | फिर वह
प्रार्थना के बाद अपने पैसे वसूलने की मंशा से कक्षा में जा बैठा -- मास्टर साहब
उपस्थिति दर्ज कर रहे थे | सुधीर का नाम आने पर मास्टर साहब
ने चश्मा चढ़ा कर एक तीखी नजर उस पर डाली | सुधीर डर सा गया
पैसों के बारे में पूछने की हिम्मत जवाब सी दे गयी |
तीसरा पीरियड क्लास टीचर विजयप्रकाश जी का था, उनके कक्षा में आने पर सभी बच्चों ने उनका अभिवादन किया | वह अपने विषय के प्रकांड ज्ञानी थे | और बच्चों को
बहुत रोचक तरीको से पढ़ाते थे | ज्यादातर बच्चे उनसे पढ़ना
चाहते थे | उन्होंने अचानक पढ़ाते पढ़ाते पिछले दिन के अध्याय
से एक प्रश्न सुधीर के लिए रख दिया .. थोड़ा दिमाग पर जोर दिया फिर सुधीर ने उत्तर
बता दिया | सुधीर खुद पर बहुत खुश हुआ कि यह क्या, उसे तो
उत्तर सही सही आता था, वह भी कम नहीं है अगर वह क्लास में
मौजूद रहे | मास्टर साहब ने अबकी प्रश्न क्लास के टॉपर अनुपम
से किया, अनुपम अगलें- बगलें झाँकने लगा | मास्टर साहब बोले - क्यूँ अनुपम क्या हुआ जवाब नहीं दे पा रहे हो |
अनुपम बोला - 'कल मैं क्लास नहीं आ पाया था,
तबियत खराब थी |' मास्टर साहब सुधीर की तरफ
मुखातिब हुए गंभीर आवाज में आदेश देते हुए बोले, सुधीर तुम कल क्लास में मौजूद थे
तुमने नोट्स लिखे होंगे | अपने नोट्स आज के लिए अनुपम को दे
देना | फिर थोड़ा मुस्कुराए और बोले वैसे जानता हूँ तुम बहुत
अच्छा लिखते हो और होशियार भी हो, मैं चाहता हूँ आइन्दा कभी कोई क्लास में किसी
वजह से न आ पाए तो तुम उसकी मदद करो | सुधीर 'जी' बोल कर रह गया | वह जैसे
ही क्लास समाप्त हुई दौड़ता हुआ मास्टर साहब की ओर बढ़ा पर मास्टर साहब तो तेज कदम
प्रिंसिपल ऑफिस पहुँच गए |
मरता क्या ना करता आखिरी पीरियड का इन्तजार किया | साथी तो फिर क्लास बंक कर चुके थे | उसे मास्टर साहब
पर बहुत गुस्सा आ रहा था | उसने मास्टर साहब को आखिरी पीरियड
में ढूंढ निकाला | बोला सर मेरे पैसे - मास्टर साहब बोले -
कल क्लास में मिलना आज तो ऑफिस में पैसे जमा कर चुका हूँ | सुधीर
अपना सा मुँह ले कर रह गया |
अगले दिन, सुबह एसेम्बली के समय अनुपम सुधीर
के पास आया और उसके नोट्स वापस करते हुए बोला, सुधीर तू इतना
अच्छा लिखता है और तू तो बहुत इंटेलिजेंट भी है, फिर क्लास
से क्यों भागता फिरता है | सुधीर बोला - अपनी बात छोड़ अनुपम,
मुझे तुम सा किताबी कीड़ा नहीं बनना” अनुपम
बोला ठीक है तुझे जैसा लगता हो तू वैसा कर, लेकिन परीक्षा के
अभी पन्द्रह दिन भी शेष नहीं रह गए, आजकल तो बहुत जरूरी
अध्याय पढाये जातें हैं जो इम्तिहान के लिहाज से विशेष है | तेरे
नोट्स मेरे लिए बहुत काम के हैं |यह कह उसे धन्यवाद करता हुआ
अनुपम चला गया | अनुपम की बात से सुधीर को लगा कि वह भी
अच्छा लिखता है | क्लास के टॉपर को उसका लिखा पसंद आया है और
मास्टर साहब को आता होगा तभी तो उन्होंने क्लास के अन्य बच्चों की मदद का जिम्मा
उसे दिया है | उसे अपने पर खुशी हुई और एक ख्याल उसके दिल
में लहरा गया कि - वह कक्षा में पढ़ाई के मामले में अब्बल रह सकता है ..अगर वह चाहे
तो |
लेकिन अगले ही पल उसके जिगरी दोस्त पहुँच गए बोले - आज मेट्रो में
थ्रिलर मूवी रिलीज़ हो रही है, काफी मजा आयेगा ..वही स्कूल
के इंटरवल के बाद वहाँ जाएंगे | आज तो सुधीर फाइनेंस करेगा
टिकट |
सुधीर उन मित्रो के साथ उन्हीं की तर्ज़ में बोला – “ठीक है आज उस खडूस मास्टर साहब से अपने रूपये ले कर रहूँगा | “
सुधीर उन मित्रो के साथ उन्हीं की तर्ज़ में बोला – “ठीक है आज उस खडूस मास्टर साहब से अपने रूपये ले कर रहूँगा | “
वह मास्टर साहब के कमरे के बाहर पहुंचा - मास्टर साहब बड़ी तेजी से
रजिस्टर ले कर क्लास की ओर बढ़ गए | सुधीर सर सर आवाज लगाता
रह गया | खैर, मास्टर साहब के पीछे
पीछे वह क्लास में पहुँच गया जहाँ उपस्थिति दर्ज होने के बाद पाठ्यकर्म शुरू हुआ
और रिविजन के लिए कल के पाठ से प्रश्नोत्तरी की गयी | कल
कक्षा में उपस्थित रहने की वजह से सुबोध फिर बढ़चढ़ कर सही जवाब देने लगा |
मास्टर साहब ने पूरी क्लास के आगे सुधीर की तारीफ की और उसे कहा कि सुधीर उन छात्रों के लिए भी एक प्रेरणा का स्त्रोत होगा जो अपनी शैतानियों की वजह से सबका सिरदर्द बने है और गन्दी आदतों का शिकार हुए हैं समय रहते आप लोग भी सुधीर की तरह पढाई में मन लगाये तो आप भी क्लास मे सही जवाब दे सकते हैं | सुधीर के दोस्तों की चौकड़ी में खलबली मच गयी ….
छूटते ही साथ उन्होंने सुधीर को कहना शुरू किया और मिस्टर पढ़ाकू जी!! तुम कब से किताबी कीड़े बन गए दोस्तों को भी नहीं बताया | सुधीर बोला- नहीं यार ! वो मा’साब का दिमाग खराब हो गया है उन्होंने मेरे रूपये दबा रखे हैं | उनकी नियत में तो मुझे खोट दिखाई देता है तभी वह बिन बात मेरी तारीफ़ कर रहे थे जब मैं अपने पैसे ले लूँगा तब वो मेरी तारीफ़ कैसे करेंगे, देखता हूँ | लेकिन दिन यूं ही निकल गया | मा’साब ने पैसे को ले कर सुधीर को घास नहीं डाली, सिर्फ यही कहा की क्लास के बाद दूँगा | लेकिन क्लास के अंत में मा’साब नहीं दिखाई दिए वह उन्हें ही ढूँढ रहा था कि क्लास की लड़कियों का समूह आ गया | वो कह रही थी सुधीर, तुम में तो कमाल की एनालिसिस पावर है, लगता है तुम पढ़ने में मन लगाने लगे हो | क्या कुछ टॉप वोप मारने का इरादा है? (थोडा व्यंग था उस जुबान में) पर फिर गंभीर हो कर एक लड़की बोली कि अगर तू क्लास में अच्छा निकले तो हम सब को भी खुशी होगी और आंटी को भी खुशी मिलेगी | सुधीर बाल झटक कर हुंह कहता हुआ निकल गया किन्तु मन ही मन सुधीर को अच्छा लगा | उनकी बात सुधीर के मन घर कर गयी |
वह सोचने लगा कि माँ हमेशा उसको ले कर दुखी रहती है | लोगों के कपड़े प्रेस करती है | दिन भर जहाँ तहां के कपड़े धो कर गुजारा भर कमाती है | माँ उसे बहुत प्यारी है वह भी तो माँ को बेहद प्यार करता लेकिन घर की गरीबी और दरिद्रता उसे बिलकुल नहीं सुहाती | इसीलिए तो वह अपने दोस्तों के साथ क्लास से भाग जाता है | बाहर जाकर उसे दुनिया की लक्जरी इन्जॉय करने का मौका मिलता है और माँ ? माँ चाहती थी की वह पढ़ लिख कर इस काबिल बने की उसके जीवन में आगे कोई कमी ना हो | वह माँ के लिए क्लास जाता और अपने लिए क्लास बंक करता | उसे एहसास सा होने लगा कि अगर वह थोड़ी मेहनत करे तो उसकी माँ की आँखों में खुशियां आ जाएँगी और अभी तो सिर्फ दस दिन की ही मेहनत है और मास्टर साहब का कहना है कि वह अच्छा कर सकता है अगर वह पढ़ाई की ओर मन भी लगाए तो | इम्तिहान होने के बाद तो मौज ही मौज होगी | वह घर जा कर किताब खोल कर पढ़ने और मनन करने लगा आज का जो पाठ पढाया था, कल का जो पढ़ा था, उसने पढ़ा | उसे बहुत रोचक लगा | फिर तो वह पन्ने के पन्ने पलटता गया मनन करता, समझता, हल करता, गणित उसे पहेलियों जैसी लगी, जिनके उत्तर ढूंढना मजेदार लगता और वह गणित के फोर्मुले सोचता, एप्लाई करता और गणित की गुत्थियों को सुलझाता, उसे बहुत आनंद आने लगा | कुछ प्रश्न भी उसके दिमाग में अटके पड़े थे | उसने ठान ली कि ऐसे इन्हें छोड़ नहीं दूँगा, कल सर से पूछूँगा क्लास में | उसके मन में एक नया उत्साह का समावेश होने लगा | उसे लगा क्यों नहीं उसने पढ़ाई की ओर पहले ध्यान दिया |
मास्टर साहब ने पूरी क्लास के आगे सुधीर की तारीफ की और उसे कहा कि सुधीर उन छात्रों के लिए भी एक प्रेरणा का स्त्रोत होगा जो अपनी शैतानियों की वजह से सबका सिरदर्द बने है और गन्दी आदतों का शिकार हुए हैं समय रहते आप लोग भी सुधीर की तरह पढाई में मन लगाये तो आप भी क्लास मे सही जवाब दे सकते हैं | सुधीर के दोस्तों की चौकड़ी में खलबली मच गयी ….
छूटते ही साथ उन्होंने सुधीर को कहना शुरू किया और मिस्टर पढ़ाकू जी!! तुम कब से किताबी कीड़े बन गए दोस्तों को भी नहीं बताया | सुधीर बोला- नहीं यार ! वो मा’साब का दिमाग खराब हो गया है उन्होंने मेरे रूपये दबा रखे हैं | उनकी नियत में तो मुझे खोट दिखाई देता है तभी वह बिन बात मेरी तारीफ़ कर रहे थे जब मैं अपने पैसे ले लूँगा तब वो मेरी तारीफ़ कैसे करेंगे, देखता हूँ | लेकिन दिन यूं ही निकल गया | मा’साब ने पैसे को ले कर सुधीर को घास नहीं डाली, सिर्फ यही कहा की क्लास के बाद दूँगा | लेकिन क्लास के अंत में मा’साब नहीं दिखाई दिए वह उन्हें ही ढूँढ रहा था कि क्लास की लड़कियों का समूह आ गया | वो कह रही थी सुधीर, तुम में तो कमाल की एनालिसिस पावर है, लगता है तुम पढ़ने में मन लगाने लगे हो | क्या कुछ टॉप वोप मारने का इरादा है? (थोडा व्यंग था उस जुबान में) पर फिर गंभीर हो कर एक लड़की बोली कि अगर तू क्लास में अच्छा निकले तो हम सब को भी खुशी होगी और आंटी को भी खुशी मिलेगी | सुधीर बाल झटक कर हुंह कहता हुआ निकल गया किन्तु मन ही मन सुधीर को अच्छा लगा | उनकी बात सुधीर के मन घर कर गयी |
वह सोचने लगा कि माँ हमेशा उसको ले कर दुखी रहती है | लोगों के कपड़े प्रेस करती है | दिन भर जहाँ तहां के कपड़े धो कर गुजारा भर कमाती है | माँ उसे बहुत प्यारी है वह भी तो माँ को बेहद प्यार करता लेकिन घर की गरीबी और दरिद्रता उसे बिलकुल नहीं सुहाती | इसीलिए तो वह अपने दोस्तों के साथ क्लास से भाग जाता है | बाहर जाकर उसे दुनिया की लक्जरी इन्जॉय करने का मौका मिलता है और माँ ? माँ चाहती थी की वह पढ़ लिख कर इस काबिल बने की उसके जीवन में आगे कोई कमी ना हो | वह माँ के लिए क्लास जाता और अपने लिए क्लास बंक करता | उसे एहसास सा होने लगा कि अगर वह थोड़ी मेहनत करे तो उसकी माँ की आँखों में खुशियां आ जाएँगी और अभी तो सिर्फ दस दिन की ही मेहनत है और मास्टर साहब का कहना है कि वह अच्छा कर सकता है अगर वह पढ़ाई की ओर मन भी लगाए तो | इम्तिहान होने के बाद तो मौज ही मौज होगी | वह घर जा कर किताब खोल कर पढ़ने और मनन करने लगा आज का जो पाठ पढाया था, कल का जो पढ़ा था, उसने पढ़ा | उसे बहुत रोचक लगा | फिर तो वह पन्ने के पन्ने पलटता गया मनन करता, समझता, हल करता, गणित उसे पहेलियों जैसी लगी, जिनके उत्तर ढूंढना मजेदार लगता और वह गणित के फोर्मुले सोचता, एप्लाई करता और गणित की गुत्थियों को सुलझाता, उसे बहुत आनंद आने लगा | कुछ प्रश्न भी उसके दिमाग में अटके पड़े थे | उसने ठान ली कि ऐसे इन्हें छोड़ नहीं दूँगा, कल सर से पूछूँगा क्लास में | उसके मन में एक नया उत्साह का समावेश होने लगा | उसे लगा क्यों नहीं उसने पढ़ाई की ओर पहले ध्यान दिया |
अब वह स्कूल में एक नए जोश के साथ था उसका पूरा ध्यान पढाई की ओर था
| लेकिन दिल में मा’साब के द्वारा उसके रूपयों को वापस ना
देना बहुत अखर रहा था | आज क्लास में अन्य विषयों के अध्यापक
भी उस की विषय को ले कर गहरी रूचि और अध्ययन के प्रति झुकाव देख बेहद खुश थे और सही जवाब देने पर उसे यदाकदा शाबास कह रहे थे
| उसे बेहद अलग अनुभव हो रहा था | जहाँ आये दिन उसकी बेंत से
पिटाई होती | उसके घर शिकायत जाती | उसकी माँ रोते हुये आती और जब तब उसे नालायक
कहा जाता …वही अपने लिए शाबास सुन कर दिल खुशी से और ऊर्जा
से भर रहा था |
किन्तु वह अपने रुपयों के लिए फिर मा’साब के पास गया … मा’साब बोले क्या बात है, इस समय मेरे पास कैसे आना हुआ | सुधीर को लगा जैसे मा’साब जानबूझ कर उसके रूपयों के बारे में भूल गए है | शायद उनके मन में चोर बैठ गया है….वह बोला सर मेरी फीस के बचे रूपये मुझे वापस चाहिए …. मा’साब अगले बगले झाँकने लगे …इस जेब में हाथ डाला… उस जेब में हाथ डाला …. और एक, हज़ार रूपये का नोट निकाला …. बोले आज तो टूटे रूपये नहीं है मेरे पास | तुम कल शाम को मिलना ….और हाँ तुम जब भी रूपये लेने आओ क्लास अटेंड कर, आखिरी खाली पीरियड में आना … अगर बीच क्लास में पैसे की बात करोगे तो वह रूपया तुम्हें वापस नहीं होगा और अगर किसी भी पीरियड में तुम उपस्थित नहीं दिखे तो समझ लो तुम्हारा रूपया गया | हाँ तुम्हारी माँ जी आएँगी तो उन्हें मैं यह रूपये दे दूंगा | जी सर कह, वह मन मसोस कर वापस आ गया |
किन्तु वह अपने रुपयों के लिए फिर मा’साब के पास गया … मा’साब बोले क्या बात है, इस समय मेरे पास कैसे आना हुआ | सुधीर को लगा जैसे मा’साब जानबूझ कर उसके रूपयों के बारे में भूल गए है | शायद उनके मन में चोर बैठ गया है….वह बोला सर मेरी फीस के बचे रूपये मुझे वापस चाहिए …. मा’साब अगले बगले झाँकने लगे …इस जेब में हाथ डाला… उस जेब में हाथ डाला …. और एक, हज़ार रूपये का नोट निकाला …. बोले आज तो टूटे रूपये नहीं है मेरे पास | तुम कल शाम को मिलना ….और हाँ तुम जब भी रूपये लेने आओ क्लास अटेंड कर, आखिरी खाली पीरियड में आना … अगर बीच क्लास में पैसे की बात करोगे तो वह रूपया तुम्हें वापस नहीं होगा और अगर किसी भी पीरियड में तुम उपस्थित नहीं दिखे तो समझ लो तुम्हारा रूपया गया | हाँ तुम्हारी माँ जी आएँगी तो उन्हें मैं यह रूपये दे दूंगा | जी सर कह, वह मन मसोस कर वापस आ गया |
अगले दिन स्कूल में सुधीर का चौकड़ी ग्रुप इकठ्ठा हुआ | उसके
दोस्तों ने उससे पूछा कि क्या हुआ मा’साब ने तेरे रूपये वापस किये - सुन सुधीर फट
पड़ा - बोला यार ये भी कोई गुरुजन है .. आक्खा भारत का चोर, मेरे
रूपये दबा लिए अब वापस करने का कोई इरादा नहीं… तिस पर अगर
मैंने क्लास के आगे कभी रूपये की बात करी तो वो कह रहे हैं कि फिर वो मुझे पैसे
नहीं लौटायेंगे …. बोलते हैं माँ आएगी तो दे दूंगा, माँ काम पर जाती है और उन्हें दे भी दिया तो फिर हमारी मौजमस्ती का क्या
होगा मन तो करता है कि इनकी शिकायत प्रिंसिपल से कर दूँ | जब
नौकरी जायेगी तब पता चलेगा पैसे की कीमत | दोस्त बोले फिर देरी किस बात की चलते
हैं प्रिंसिपल ऑफिस | सुधीर बोला छोड़ यार आजकल पढ़ाई का जोर चल रहा है…खामख्वाह इस लफड़े में नही फंसना … इम्तिहान के बाद
जरूर इनकी शिकायत प्रिंसिपल से करेंगे … अभी भी देख लेता हूँ
शायद मा’साब सुधर जाएँ, शायद उन्हें कुछ समझ आये ..वो मेरे
पैसे वापस कर दें | फिर तुम्हें पार्टी दूँगा … दोस्त बोले तो क्या करें आज ….सुधीर बोला तुम जाओ
बंक में या मेरे साथ क्लास अटेंड करो लेकिन में बंक कैसे कर सकता हूँ | पढ़ाई तो जायेगी ही मेरे तो पैसे भी डूब
जायेंगे | दोस्त बोले ठीक है और क्लास की ओर चल दिए | इसके
बाद भी सुधीर दो तीन बार अपने मा’साब से मिला लेकिन वह हर बार कुछ बहाना बना देते
शायद उनके मन में चोर आ गया था |
अब इम्तिहान नजदीक था.. तीन दिन शेष …सुधीर रात दिन एक कर रहा था सिर्फ और सिर्फ इम्तिहान की तैयारी … उसने सोच लिया कि रूपये नहीं मिलने वाले….जरूरत पड़ने पर टेढ़ी ऊँगली से घी निकालना पड़ेगा...लेकिन अभी परीक्षा की तैयारी में मन लगाना होगा |
अब इम्तिहान नजदीक था.. तीन दिन शेष …सुधीर रात दिन एक कर रहा था सिर्फ और सिर्फ इम्तिहान की तैयारी … उसने सोच लिया कि रूपये नहीं मिलने वाले….जरूरत पड़ने पर टेढ़ी ऊँगली से घी निकालना पड़ेगा...लेकिन अभी परीक्षा की तैयारी में मन लगाना होगा |
माँ भी उसकी मेहनत से अवाक थी और बेहद प्रसन्न …रोज भगवान की पूजा अर्चना कर सुधीर को तिलक लगाती .. दही चीनी से उसका
मुँह मीठा कर परीक्षा के लिए भेजती | सुधीर भी अपनी परीक्षा
से खुश था … उसके हिसाब से पेपर अच्छे हुये थे |
परीक्षा खतम होने के बाद सुधीर स्कूल गया वो फिर मा’साब से पैसे
लेने गया … तो पता चला के मा’साब छुट्टी ले कर एक महीने के
लिए बाहर गए हैं … सुधीर ने सोचा यह भी एक इम्तिहान है…
कुछ दिनों की बात है …इस बीच वह मा’साब पर अपनी झींक, उनके लिए बुरा भला कह कर दोस्तों
के साथ निकालता है |
स्कूल में परीक्षा परिणाम आज दिन में निकलने वाला है | स्कूल से उसकी क्लास के सभी बच्चों को बुलाया गया है ….उसे चिंता सी हो रही है | वहाँ बच्चे और रिश्तेदारों
की भीड़ रिजल्ट लेने आई हुई थी | मा’साब
भी उसे भीड़ में प्रसन्नचित दिखे .. तभी घंटी बजी और सभी बच्चे एसेम्बली हॉल मे
एकत्र हुए | प्रधानाचार्य महोदय ने आ कर परिणाम की घोषणा की
| क्लास में कुछ बच्चे अनुत्तीर्ण थे, कुछ
बच्चे दरमियाना नंबर ले कर उत्तीर्ण हुए थे और कुछ बच्चे बहुत अच्छे अंकों से उत्तीर्ण
हुए थे | प्रिंसिपल बोले मैं कक्षा के प्रथम तीन विद्यार्थियों के नाम की घोषणा
करूँगा | बाकी सभी विद्यार्थी अपने कक्षा अध्यापक से रिजल्ट लेंगे और प्रिंसिपल
महोदय ने घोषणा की- “कक्षा 11 में जो बच्चा प्रथम आया है
उसका नाम है – अनुपम | सुधीर बहुत खुश हुआ | वह तालियाँ जोर-जोर
से बजा रहा था | अनुपम ने अपना पुरस्कार लिया | तब तक दुसरा नाम घोषित किया गया | वह
नाम था - "सुधीर" सुधीर को यकीन नहीं हुआ | पुनः पुकारा गया गया सुधीर
खंडूरी | क्या सुधीर खंडूरी को सुनाई दे रहा है उनका नाम | सुधीर स्टेज पर आये …अपना परीक्षा परिणाम और पुरस्कार ले जाए …. मा’साब
ने स्टेज से सुधीर को देखा तो चिल्ला पड़े सुधीर जल्दी आओ…तब
तक क्लास के अन्य छात्र भी कहने लगे – सुधीर ! हाँ, तुम्हारा
नाम ही पुकारा जा रहा है, जाओ ..जाओ … सुधीर
को यकीन नहीं हो रहा था ….उसकी आँखों के आगे माँ का
मुस्कुराता चेहरा नजर आने लगा …वह चाह रहा था कि दौड़कर माँ
के पास जाए और उसको खबर सुनाये .. उस से लिपट कर रोये … वह
आगे बढता हुआ स्टेज पर पहुंचा | तब तक प्रिंसिपल महोदय कह रहे थे कि सुधीर अपनी
कुछ बुरी आदतों के चलते स्कूल बंक करता था और कक्षा में अनुपस्थित रहता था,
घर में भी उसकी आदतों से उसकी माँ परेशान रहती थी और यहाँ स्कूल में
गुरुजन | लेकिन अचानक जिस तरह उसने खुद में बहुत परिवर्तन किये ..हर क्लास में
नियमित उपस्थित होना और मन लगा के पढ़ना …क्यूंकि उसने अपनी
गन्दी आदतों को त्याग कर सही रास्ता चुना और उस पर चल पड़ा | आज उसका परिणाम ही है कि वह कक्षा में द्वितीय स्थान पर आ सका … वह अनुकरणीय है …अन्य बच्चे भी समझ सकते है कि अपने
अंदर निहित दुर्गुणों को त्यागा जा सकता है और अपने लिए एक अच्छा रास्ता चुन कर
अपने भविष्य को सुन्दर बनाया जा सकता है … हॉल तालियों से
गूंज गया |
सुधीर दोस्तों के साथ घर जा रहा था कि मास्टर साहब उसे ऑफिस के बाहर
दिखाई दिए | मास्टर साहब ने उसे इशारे से बुलाया और अपने
ऑफिस में ले गए – बोले – “आज बहुत खुश
हो ना तुम, मैं भी हूँ | मैंने
ब्रिलियेंट स्टूडेंट स्टडी फंड में तुम्हारे विषय में सूचना दी थी .. तुमने कर
दिखाया है , तुम्हारी योग्यता को देख तुम्हारी फीस इस साल से
माफ हो जायेगी .. और स्कॉलर स्टुडेंट्स फंड से तुम्हें वजीफा भी मिलेगा जिस से तुम
अपनी कॉपी किताब खरीद सकोगे |” ..यह कह कर उन्होंने जेब में
हाथ डाला और पांच सौ रूपये का नोट निकाला और बोले यही है न वो रुपया जिसकी वजह से
तुम परेशान थे | लेकिन प्रण करो कि अब से हमेशा क्लास अटेंड
करोगे और इसी तरह अच्छा नाम कमाओगे … सुधीर का सिर आदर से झुक
गया | सुधीर सोच रहा था यह रुपया अगर उसे पहले मिल गया होता तो वह शायद ही कभी
क्लास में नियमित बैठता, वह बैंक जरूर मारता और दोस्तों के साथ इसे उड़ाता | उधर
मास्टर साहब ने अलमारी से एक मिठाई का डिब्बा निकाला और सुधीर के हाथ में रख दिया,
बोले - जाओ बेटा, यह मिठाई का डिब्बा अपनी तरफ
से अपनी माँ को देना और खुशखबरी सुनाना, वह बहुत खुश होंगी
..सुधीर का ह्रदय खुशी से आह्लादित हो रहा था | वह आदर, कृतज्ञता
और प्रेम से मास्टर साहब के चरणों पर झुक गया |
-डॉ नूतन डिमरी गैरोला
कहानी की कथा-वस्तु और प्रस्तुतिकरण सराहनीय है।
ReplyDeleteवाह...ज्ञानवर्धक कहानी....बड़े सरल शब्दों में गुरु महिमा को प्रस्तुत किया आपने...
ReplyDeleteमनीष जी और राजेन्द्र जी को धन्यवाद और राहुल जी का आभार ... स्पर्श को शुभकामनाएं
ReplyDeleteज्ञानवर्धक कहानी.... बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteveryyy touching n motivating story..
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