मेरे मित्रोँ ने मुझसे कहा-
कविवर!
किस वाद के पोषक हो?
अच्छा,
मानववाद के!
अरे टुटपुँजिए कवि
अपनी थकी कविताएँ
अपने पास ही रखो
निद्रा की गोलियोँ के विकल्प की संज्ञा देते हुए
व्यंग्य किया मुझ पर
मेरी कविता पर
कहने लगे-
लिखना है तो लिखो
उत्तेजक लेख
डालो मसाला
तड़का लगा के
लोगोँ से घिरे रहो
नेतागिरी करो
चढ़ जाओ मंचोँ पर
पैठ बढ़ाओ
विवादित पुस्तकेँ लिखो
रश्दी, तस्लीमा और आजाद की तरह
विवादास्पद बनो
तभी आगे बढ़ पाओगे
एकाध पुरूस्कार भी पा जाओगे
नहीँ तो घोटते रहोगे
एकाकी
कलम रात-दिन
और एक दिन
यूँ ही मर जाओगे..
-Rahul Dev
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