Monday 16 October 2017

टॉपर का टॉप सीक्रेट / अभिषेक अवस्थी

व्यंग्य


चुन्नू के कदम ठिठक रहे हैं। वह किसी डरे-सहमे लेखक की भांति व्यवहार कर रहा है। जो लिखना चाहता है। मगर नहीं भी लिखना चाहता। चुन्नू एक कदम आगे बढ़ाता। दो कदम पीछे। बहुत असमंजस मे है। कैसे घर के अंदर दाखिल हुआ जाए? और क्या मुंह लेकर घरवालों का सामना किया जाए। रह-रह कर उसे महसूस हो रहा है कि अपराध हो गया उससे। बल्कि पापों का पाप-महापाप।

किसी तरह चुन्नू घर के अंदर घुसा। सीन पुरानी फिल्म सा हुआ। माँ ने कहा- मेरा लाल आया है। पिता ने उसके सिर पे हाथ फेरते हुए कहा- बुढ़ापे का सहारा आया है। बीस लाख का माल आया है। लाओ भई लाओ। आरती की थाली लाओ। टीका करो। स्वागत-सत्कार करो। लेकिन यह क्या? अचानक पूरे परिवार की दृष्टि उसके  माथे पे आ रही पसीने की बाढ़ पे पड़ी। सभी चिंतामग्न हो गए। कुछ लोग नहीं, बल्कि पूरा परिवार ही चिंता मे मग्न रहता है। बेटे को पसीने से तरबतर देख, पिता बोले, क्या हुआ? किस बात से परेशान है तू? माना कि गर्मी बहुत है। परीक्षा-परिणामों की बेला है। लेकिन फिर भी इतना पसीना तो नहीं आना चाहिए। हमने तेरे ऊपर कोई दबाव भी नहीं बनाया। फिर काहे परेशान है।

अब चुन्नू वापस किरदार मे आया। बोला, ‘मॉम! डैड! बहना! हो सके तो मुझे माफ करना। माता-पिता किसी हत्यारे के भी हों, संतान को दुखी देख परेशान हो ही जाते हैं। सो चुन्नू के पिता बोले, ‘हुआ क्या है। आखिर मैटर तो बताओ। चुन्नू अपनी आँखों से गंगा जमुना बहाते हुए आगे बोला, ‘आप जो स्वागत-सत्कार कर रहे हैं, मैं उसके लायक नहीं हूँ... ऊंऊंऊंऊंऊं... आप सबकी उम्मीदों पे पानी फेर दिया। न जाने कैसे मुझसे यह अपराध हो गया। बहन की रुलाई निकल आई। आँसू नहीं निकले। वह बोली, ‘भाई! प्लीज़ साफ-साफ बताओ। न तुम वकील। न यह घर अदालत। केस को अमूल माचो की इलास्टिक की तरह मत खींचो। आखिर कैसा अपराध हुआ है? चोरी की? डाका डाला? दुष्कर्म कर डाला? अगर ऐसा है तो आई स्वेयर, नौटंकी बंद कर दो। वरना फोड़ दूँगी। अरे ये कोई नई बात थोड़ी न है। गलतियाँ हो ही जाती हैं। रिलैक्स।

चुन्नू बहन द्वारा दिए गए धमकीनुमा धमाके से संभला। बोला, ‘बहन। ऐसा कुछ अगर किया होता तो मेरे माथे से पसीना नहीं, बल्कि गर्व टपक रहा होता। हुआ यह कि आज परीक्षा परिणाम आया है। और न जाने यह कैसे-क्यों हो गया। मॉम की कसम। मैंने कुछ भी जानबूझकर नहीं किया। वह फिर सुबकने लगा। आगे बोला, ‘मॉम-डैड! मैंने इस बार की परीक्षा मे जिला टॉप किया है। घर का नज़ारा टीवी सिरियल की भांति हो गया। घर के तीन कोनों से क्या-क्या-क्या की ध्वनि तीन बार गूंज उठी। सबने बारी-बारी से अपनी गर्दन चुन्नू की ओर घुमई। माँ को अब भी यकीन नहीं हुआ। कुछ माएँ होती है ऐसी। जबतक पुत्र को हत्या करते देख नहीं लेती, तबतक नहीं मानती कि उनका गुदड़ी का लाल हत्यारा है। उन्होने कन्फ़र्म करने के लिए चुन्नू को दो तमाचे जड़े। तड़ाक-तड़ाक। बोली, ‘क्या बकता है? कह दे कि यह झूठ है
यही सच है। चुन्नू भरे गले से बोला।
हाय रे मेरे लाल। ये तूने क्या कर डाला?’ लाख मना किया था कि भूल कर भी ऐसी भूल मत करना। हाय... चुन्नू के पापा, देखिए कैसे मुंह काला कर के आया है अपना बेटा। कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा। लोग तरह-तरह के सवाल पूछेंगे। तेरा इंटरव्यू होगा। जीना हराम हो जाएगा। टॉप करने से पहले माँ-बाप के बारे मे तो सोच लिया होता करमजले। अरे अपनी बहन के बारे मे ही सोच लिया होता। कौन ब्याहेगा इसे अब। हाय री फूटी किस्मत। भगवान ने यही दिन दिखाने को ज़िंदा रखा था हमे...

माँ का मेलोड्रामा अभी कुछ और देर चलना था। पिता ने दुनिया देखी है। अनुभवी हैं। मौका देख बोले, ‘बेटा! अब जो हुआ, सो हुआ। इससे पहले कि तेरे टॉप करने की खबर जिले मे फैले, तू गाँव चला जा। बीस-पच्चीस दिन गाँव की सरहद पार मत करना। इधर मैं देख लूँगा। एक बार तू गाँव पहुँच गया, फिर कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। चुन्नू ने आश्चर्य से पूछा, ‘लेकिन डैड, आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हैं?’ डैडउवाच, ‘बाप हूँ तेरा। दरअसल हुआ यूं कि तेरे दादा ने एकदा शहर मे डकैती डाली थी। पुलिस ने नंबर वन डकैत घोषित कर दिया उन्हे। वे पॉपुलर हो गए। मीडिया वाले रोज़ उनके ठिकाने पे आकर उनका इंटरव्यू ले जाते। सरकार और पुलिस के कुछ लोग उनसे न्योछावर ले जाते। रोज़ ठिकाने भी बदलने पड़ते। धंधे पे असर पड़ने लगा। उन्होने कुछ दिन का ब्रेक लिया। सीधा गाँव का रुख किया। फिर वहीं असलहे के दम पे ज़मीदारी जैसा कुछ करने लगे। जलने वाले लोगों ने उन्हे भू-माफिया का नाम दिया। तो बेटा। तू भी गाँव निकल जा। चुन्नू को गाँव का महत्व समझ आया। चलने की तैयारी शुरू हुई।

विदाई की बेला आई। माँ-बाप-बहन ने चुन्नू का टीका किया। चलते-चलते चुन्नू ने पुनः क्षमायाचना की। तत्पश्चात बोला, ‘मॉम-डैड, आपलोग संभाल तो लोगे न? किसी को पता मत चलने देना कि मैं कहाँ हूँ। आई मीन, इट्स टॉप सीक्रेट मैटर। पिता बोले, ‘न बेटा न। चाहे मीडिया वाले हम पे कितना ही जुल्म क्यों न ढाए, हमारी जान ही क्यों न निकाल लें, हम अपना मुंह नहीं खोलेंगे। चुन्नू ने अपनी शंका दूर करने हेतु पूछा, ‘लेकिन आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हैं?’

बेटा... पिता हल्की गुलाबी मुस्कान संग बोले, ‘नगर-निगम मे नौकरी से पहले मैं छुप कर चोरियाँ किया करता था। इसी अनुभव के कारण मुझे निगम मे आसानी से नौकरी मिली। उस समय अब जैसी सहूलियत नहीं थी। इसी कारण इस खेल मे कई बार जेल हुई। चोरी का माल बरामद करने के लिए पुलिस ने मेरे कई अंगो पे दबिश दी। वहाँ भी दी जहां नहीं देनी चाहिए। मेरी रेल बनाई। किन्तु मेरी रेल के दोनों छोर से उफ़्फ़ तक न हुई। वही अनुभव आज प्रयोग मे लाऊँगा।

चुन्नू आश्वस्त हुआ। अब उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता। मीडिया वाले ढूंढते रह जाएंगे। कोई इंटरव्यू भी नहीं होगा। किसी को नहीं पता चलेगा कि आखिर टॉपर का टॉप सीक्रेट क्या है।

सी 56 ए /5 सैक्टर 62 नोएडा 
मो: 09953419323

No comments:

Post a Comment

गाँधी होने का अर्थ

गांधी जयंती पर विशेष आज जब सांप्रदायिकता अनेक रूपों में अपना वीभत्स प्रदर्शन कर रही है , आतंकवाद पूरी दुनिया में निरर्थक हत्याएं कर रहा है...