पांच गज़लें :
डॉ. दिनेश त्रिपाठी ‘शम्स’
क्यों उपेक्षित हैं
हमारी प्रार्थनाएं ,
देवता इस प्रश्न का उत्तर बताएँ.
आपको उनसे निराशा ही मिलेगी ,
मत तलाशें इस कदर संभावनाएँ .
लग गयी हैं स्वार्थ के झोकों से हिलने ,
सिर्फ खूंटी पर टंगी हैं आस्थाएँ .
कुछ हमारे मौन का भी अर्थ समझें ,
हो नहीं पाती मुखर कुछ भावनाएँ .
अब हमारे देश में है लोकशाही ,
आइये इस चुटकुले पर मुस्कुराएँ.
जब किया है प्यार का बेशर्त सौदा ,
फिर नफ़ा नुकसान क्या जोड़े-घटाएँ.
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दूरियां इस कदर बड़ी मत कर ,
बीच अपने अना खड़ी मत कर .
पल दो पल को ज़रा ठहर भी जा ,
खुद को इस तरह से घड़ी मत कर .
ख्वाहिशों का सिरा नहीं कोई ,
बेसबब ख्वाहिशें
बड़ी मत कर .
तू जले और सबके सब खुश हों ,
इस तरह खुद को फुलझड़ी मत कर .
प्यार में शर्त तो गवारा है ,
शर्त को यार हथकड़ी मत कर .
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सूखते ज़ख्म को हरा मत कर ,
देखकर मुझको यूँ हँसा मत कर .
बेवजह मुश्किलें खड़ी होंगी ,
फ्रेम तस्वीर से बड़ा मत कर .
जोगियों का भला ठिकाना क्या ,
मेरे बारे में कुछ पता मत कर .
एक ही चोट ने है तोड़ दिया ,
वार दिल पर यूँ बारहा मत कर .
सिर्फ महसूस कर मुहब्बत को ,
कुछ न सुन और कुछ कहा मत कर .
कुछ तो रिश्ते का भरम रहने दे ,
क़र्ज़ दिल का अभी
अदा मत कर
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बताऊँ कैसे तुम्हें क्या है अपना हाल
मियाँ ,
यहाँ तो जिंदगी ही बन गयी सवाल मियाँ .
बड़ा है शोर तरक्की का हर तरफ लेकिन ,
हमें नसीब नहीं अब भी रोटी-दाल मियाँ .
हमारे दौर का अहसास मर गया शायद ,
किसी भी अश्क को मिलता नहीं रुमाल मियाँ
.
भरोसा करके जिन्हें रहनुमा चुना हमनें ,
हमारे हक का वही काट रहे माल मियाँ .
समझ गयी है तुम्हारा फरेब हर मछली ,
चलो समेट लो अब तुम भी अपना जाल मियाँ .
हैं कौन लोग लुटेरे हमारी खुशियों के ,
हमारे मन में भी अब उठते हैं सवाल मियाँ
..
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ये
विषय है नहीं सिर्फ उपहास का ,
कुछ
तो उपचार हो युग के संत्रास का .
वृक्ष
अब बाँटने लग गए धूप हैं ,
आजकल
घोर संकट है विश्वास का .
मैं
हूँ तपती दुपहरी का नायक मुझे ,
व्यर्थ
लालच न दें अपने मधुमास का .
तृप्ति
की याचना कैसे कर लूँ भला ,
मैं
समर्थक रहा हूँ सदा प्यास का .
डूबने
लग गई वक़्त की नब्ज़ है ,
छोड़िये
सिलसिला हास-परिहास का .
आपने
सिर्फ काटे मेरे पंख हैं ,
आँख
में है अभी स्वप्न आकाश का .
लेखनी
कवि की सोई नहीं है अभी ,
दीप
अब भी बुझा है नहीं आस का .
डॉ. दिनेश त्रिपाठी ‘शम्स’
वरिष्ठ प्रवक्ता:
जवाहर नवोदय विद्यालय
ग्राम – घुघुलपुर
, पोस्ट-देवरिया ,
जनपद- बलरामपुर ,
उ.प्र. -२७१२०१
मोबाइल-०९५५९३०४१३१
ईमेल–yogishams@yahoo.com
सुन्दर गजलें,बधाई शम्स को।
ReplyDeleteसामयिक शेरों से सुसज्जित बहुत अच्छी ग़ज़लें हैं
ReplyDeleteSunder gajal
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