जंतुआलय
-------------
अरे देखो देखो!
क्या गज़ब कौतुक है
चूहे,बिल्ली,कुत्ते
आपस में खेल-खा रहे हैं
चौकीदार हंसा
इस में कौतुक क्या है
मैं तो रोज ही देखता हूं
तुम हमारे जंतुआलय
शायद पहली बार आए हो!
पोर पोर दुखता है.....
-------------------------
जब भी कोई पत्थर
दरक के
लुढकता है
ढलानो का
कलेजा
मुंह को आ जाता हैं
पोर पोर दुखता है.....
छोटी छोटी बातें
-------------------
घड़े का शीतल जल पीते हुए
क्या तुम्हें स्मरण आया कभी
घड़े के बनने की प्रक्रिया
उसे बनाने और
तुम तक पहुंचाने वाले
हाथों का
पेट भरते हुए कभी सोचा
कैसे, किसने
क्या क्या सहा है
तब तुम्हारे मुंह में
स्वाद से भरपूर
यह निवाला आया है
बरसों से रह रहे हो
जिस घर में तुम
कितना जानते हो
उस घर के इतिहास
नींव की ईंटो के बारे में
तुम्हारी सारी
बड़ी बड़ी बातें
मैं जान लूंगा
पर शर्त है
तुम्हें भी
जाननी होंगी
मेरी ये
छोटी छोटी बातें........
एक शानदार फ्लैट पाओ...
-------------------------------
तुमने सबसे पहले
ललचाया ट्रेक्टर के लिए
मेरे खेत से हल हटवाया
मेरे सर कर दिया
पहला कर्ज़ा
खेत को रेहन रखवाया
फिर तुमने
मेरे बीजों पर वार किया
एक टोल फ्री नम्बर बताया
समय की नब्ज़ पहचानो!
इस पर बात करो!
अधिक उपज के नुस्खे जानों!
अब तुम कह रहे हो
क्यूं इतना मर रहे हो
सौ- पचास क्विंटल के लिए
परिवार सहित झुर रहे हो
तुम्हारी ज़मीन बहुत कीमती है
इतना पाओगे
ब्याज ब्याज में ही
निहाल हो जाओगे
करोड़ों पाओगे
इसे बेच निजात पाओ
झोंपड़ी की जगह
इसी ज़मीन पर
बननेवाली शानदार
बहुमंजिला रेजीडेंसी में
एक शानदार फ्लैट पाओ...
पारखी नज़र
---------------
मुझे संदेह है
उनके परिंदे होने पर
क्योंकि नहीं दिखे
उनके कहीं पर
बावजूद इसके
देखा
नापते उन्हीं को
नित नई ऊंचाइयां
बिना किसी डर
हर कहीं पर
ये क्या है चक्कर...?
बहुत आसान है
एक परिंदे ने बताया
हंसकर
हर कोई उड़ सकता है
बाजार में उपलब्ध है
जादुई पर
जो छुआ देते हैं पल भर में
बड़े बड़े आसमां
बस होनी चाहिए
उन्हें परख लेनेवाली
पारखी नज़र
*******
नवनीत पाण्डे
जन्मः 26 दिसंबर सादुलपुर (चुरु).शिक्षाः एम. ए.(हिन्दी), एम.कॉम.(व्यवसायिक प्रशासन), पत्रकारिता -जनसंचार में स्नातक। हिन्दी व
राजस्थानी दोनो में पिछले पच्चीस बरसों से सृजन। प्रदेश- देश की सभी प्रतिनिधि
पत्र- पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशन।
प्रकाशनः हिन्दी- सच
के आस-पास, छूटे हुए संदर्भ, जैसे जिनके धनुष (कविता संग्रह) यह मैं ही हूं, हमें तो मालूम न था (लघु नाटक) प्रकाशित व सुनो
मुक्तिबोध!, जब भी देह होती हूं (कविता संग्रह) शीघ्र
प्रकाश्य राजस्थानी: लुकमीचणी, लाडेसर
(बाल कविताएं), माटीजूण (उपन्यास), हेत रा रंग (कहानी संग्रह), 1084वें री मा - महाश्वेता देवी के चर्चित बांग्ला
उपन्यास का राजस्थानी अनुवाद।
पुरस्कार-सम्मानः लाडेसर (बाल कविताएं) को राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी का ‘जवाहर लाल नेहरु पुरस्कार’ हिन्दी कविता संग्रह ‘सच के आस-पास’ को राजस्थान साहित्य अकादमी का ‘सुमनेश जोशी पुरस्कार’ लघु नाटक ‘यह
मैं ही हूं’ जवाहर कला केंद्र से पुरस्कृत होने के अलावा ‘राव बीकाजी संस्थान-बीकानेर’ द्वारा प्रदत्त सालाना साहित्य सम्मान। संप्रतिः
भारत संचार निगम लिमिटेड- बीकानेर कार्यालय में कार्यरत सम्पर्कः ’प्रतीक्षा’ २
डी २, पटेल नगर, बीकानेर(राज) call
+919413265800
email - navneetpandey.bik@gmail.com & poet.india@gmail.com
blogs-www.kavi-ka-man.blogspot.in, udahran.blogspot.in, pathhaknama.blogspot.in
email - navneetpandey.bik@gmail.com & poet.india@gmail.com
blogs-www.kavi-ka-man.blogspot.in, udahran.blogspot.in, pathhaknama.blogspot.in
No comments:
Post a Comment