ताज़ा रिपोर्ट
"यह इलाक़ा अंतरराष्ट्रीय सीमा के बहुत पास है । यहाँ विदेशी एजेंट भी दंगा-फ़साद करवा सकते हैं।"
पुलिस महानिदेशक ने गृह सचिव की आशंका को नोट किया ।
"हमें कल सुबह तक इलाक़े से ताज़ा रिपोर्ट चाहिए ।" गृह-सचिव ने कहा ।
"जी, सर ।" कई आला अधिकारी एक साथ बोले ।
"देखिए, राष्ट्र-हित में मैं यह बैठक यहीं समाप्त करता हूँ । मध्य-रात्रि हो चली है और बहुत बिजली ख़र्च हो रही है । हमें बिजली बचानी चाहिए । यह समय की माँग है ।"
गृह-सचिव ने लम्बी जम्हाई लेते हुए कहा ।
"जी,सर । आपका आइडिया बहुत बढ़िया है । देश का नारा होना चाहिए -- बिजली बचाओ ।" बहुत सारे अधिकारी-गण एक साथ जम्हाई लेते हुए बोल उठे ।
अपना ख़ज़ाना लुटाने को आतुर हैं ये ललनाएँ
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राहत-कार्य प्रकोष्ठ के दफ़्तर में अभी-अभी एक आपात बैठक ख़त्म हुई थी जिसमें निदेशक ( राहत-कार्य ) ने सभी अधीनस्थ अधिकारियों को बताया कि हर टी.वी. चैनल के संवाददाता राहत-कार्यों की धज्जियाँ उड़ा रहे थे । इसलिए सभी अधिकारियों को कमर कस कर मीडिया के दुष्प्रचार का मुक़ाबला करना था । ऊपर से आदेश था कि घटना-स्थल से ताज़ा रिपोर्ट शीघ्रातिशीघ्र मँगाई जाए । सभी अधिकारी इसी जुगाड़ में लगे थे । लेकिन जैसे-जैसे रात गहरी होने लगी , सभी वरिष्ठ अधिकारी एक-एक करके अपने-अपने घरों के लिए खिसकने लगे । कुछ कनिष्ठ अधिकारियों को सारी रात दफ़्तर में सजग रहने के लिए कहा गया था । यह आपात स्थिति थी । वे आज रात फ़ोन पर स्थिति के पल-पल का जायज़ा लेने वाले थे ।
लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों के जाते ही युवा कनिष्ठ अधिकारियों ने टी.वी. आॅन करके ' एफ़. टी.वी.' चैनल लगा लिया । मध्य-रात्रि का समय था । ' एफ़. टी. वी.' पर
" मिडनाइट हाॅट " कार्यक्रम आ रहा था जिसमें बिकनी पहने ख़ूबसूरत युवतियाँ रैम्प पर कैटवॉक कर रही थीं ।
इस अंग-प्रदर्शन का मज़ा ले रहे कुछ युवा अधिकारियों ने जंगली अंदाज़ में सीटियाँ बजाईं । कुछ ने अश्लील टिप्पणियाँ कीं ।
" अपना ख़ज़ाना लुटाने को आतुर हैं ये ललनाएँ ! " रंगीन तबीयत के एक अधेड़ अधिकारी आँख दबा कर बोले ।
फ़िज़ा में कई सीटियाँ और ठहाके एक साथ गूँजने लगे ।
जानेमन, सैलरी देते हैं । जाना तो पड़ेगा ही
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स्थानीय डी.एम. के घर पर फ़ोन की घंटी फिर बज उठी । डी.एम. साहब अभी-अभी सारा मामला फ़िट करके सोने जा रहे थे ।वे कल सुबह प्रभावित इलाक़े का दौरा करने वाले थे ।
फ़ोन पर राज्य के गृह-मंत्री थे ।
मीडिया सारी स्थिति को बढ़ा-चढ़ा कर, तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा था ।
मीडिया विपक्ष के हाथों का खिलौना बन गया था । विधान-सभा का सत्र भी जल्दी शुरू होने वाला था । आज रात ही कुछ करना ज़रूरी था । ताज़ा रिपोर्ट लाने के लिए डी.एम. को रात में ही घटना-स्थल के लिए निकल जाने का आदेश दिया गया ।
फ़ोन रख कर डी.एम. साहब ने पत्नी को सारी बात बताई । पत्नी नाराज हो गई ।
"जानेमन, नौकरी करता हूँ । सैलरी देते हैं । जाना तो पड़ेगा ही ।" डी.एम. साहब बोले ।
"सैलरी दे के क्या ख़ून चूस लेंगे ?" पत्नी ने उबलते हुए कहा ।
यहाँ स्थिति नियंत्रण में है
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डी. एम. साहब मौक़े पर पहुँचे । सुबह के चार बज रहे थे । जैसे ही लोगों को पता चला , भारी भीड़ ने डी. एम . को घेर लिया । लोग अपनी माँगों के समर्थन में नारे लगाने लगे । राशन की कमी थी । दवाइयों की कमी थी । तम्बुओं की कमी थी । जितने लोग, उतनी शिकायतें । डी. एम . साहब बग़लें झाँकने लगे । जब प्रशासन से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो लोग उग्र हो उठे । पथराव शुरू हो गया । डी.एम. की गाड़ी फूँक दी गई । पुलिस को स्थिति नियंत्रण में करने के लिए लाठी-चार्ज करना
पड़ा । पथराव में जब कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए तो पुलिस-वालों ने भीड़ पर फ़ायरिंग कर दी जिसमें कई लोग मारे गए , कई घायल हुए ।
मौक़े पर मौजूद लोगों का आरोप है कि पुलिस-वालों ने लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर मारा । लोग बताते हैं कि यह चाँदनी में थरथराता हुआ बड़ा दारुण दृश्य था । इधर-उधर लाशें पड़ी थीं । बीच-बीच में कराहते हुए लहुलुहान घायल लोग पड़े थे । पास के पेड़ों पर बैठे कुछ उल्लू इंसानों की आवाज़ में चीख़ रहे थे ...
इलाक़े में धारा १४४ लागू कर दी गई और वहाँ अनिश्चितकालीन कर्फ़्यू लगा दिया गया । अर्द्ध-सैनिक बलों की कुछ टुकड़ियाँ भी वहाँ तैनात कर दी गईं । नीली वर्दियाँ पहने ' रैपिड ऐक्शन फ़ोर्स ' के जवान इलाक़े में गश्त करने लगे ।
जब डी.एम.साहब इलाक़े का दौरा करने के बाद अपने आवास पर लौटे तो सुबह के छह बज रहे थे । तभी उनके लिए राज्य के गृह-मंत्री का आपात-फ़ोन आया । फ़ोन अटेंड करने के बाद वे सीधे अपने 'स्टडी' में गए । नौकर को चाय वहीं लाने का आदेश दे कर वे हालात की ताज़ा रिपोर्ट कम्प्यूटर पर टाइप करने के लिए बैठ गए । उनकी रिपोर्ट की पंक्तियाँ थीं --
" यहाँ राहत कार्य युद्ध-स्तर पर चल रहा है । प्रशासन ने राशन, दवाइयाँ , तम्बू
आदि सभी आवश्यक वस्तुओं का पूरा इंतज़ाम किया है । यहाँ राहत-सामग्री में हुए घपले की ख़बर बेबुनियाद है । कपोल-कल्पना है । इलाक़े के सभी अधिकारीगण सजग हैं और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए रात-रात भर बैठकें कर रहे हैं । वे अपने कर्तव्यों का निष्ठा से निर्वहन कर रहे हैं । यहाँ कुछ लोगों की मृत्यु ज़रूर हुई है पर उनकी मौत की वजह व्यक्तिगत है । ये लोग पहले से ही बीमार चल रहे थे । इन मौतों को राहत-कार्यों से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए । कुछ शरारती तत्व माहौल को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं । इसके पीछे विदेशी एजेंटों का हाथ भी हो सकता है । आज सुबह ही हमारी मुस्तैद पुलिस ने उपद्रव पर उतारू कुछ विदेशी एजेंटों को एन्काउंटर में मार गिराया । उनके पास से बड़ी मात्रा में हथियार तथा गोला -बारूद भी बरामद हुआ है । हम राष्ट्र-विरोधी तत्वों की घिनौनी चालों को कभी सफल नहीं होने देंगे । किसी भी स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन सतर्क है । इस संकट की घड़ी में आपसी सद्भाव और एकता बनाए रखने की ज़रूरत है । यहाँ के लोगों में अद्भुत सहनशीलता और जीवट है । उनमें बड़ी-से-बड़ी मुसीबत से उबरने की असीम क्षमता
है । हम उनकी इस क्षमता का अभिनंदन करते हैं । यहाँ स्थिति नियंत्रण में है चिंता की कोई बात नहीं । कृपया अफ़वाहों पर ध्यान न दें । इस संकट की घड़ी में प्रशासन लोगों के साथ है तथा उनकी मदद के लिए कार्यरत है ।"
रिपोर्ट टाइप करके डी.एम. साहब ने उसे सभी सचिवों को मेल कर दिया । अगले आदेश तक इलाक़े में मीडिया के प्रवेश पर रोक लगा दी गई ।
उधर सुबह चार बजे घटना-स्थल पर की गई पुलिस-फ़ायरिंग में मारे गए लोगों की लाशें स्थानीय अस्पताल की मार्चुरी में पड़ी थीं और उन पर मक्खियाँ भिनभिना रही थीं । इधर ऊपर से नीचे तक सभी विभागों के अधिकारी-गण ख़ुश थे कि उन्हें मौक़े पर से हालात की ताज़ा रिपोर्ट मिल गई थी जिसके मुताबिक़ स्थिति नियंत्रण में थी और अब चिंता की कोई बात नहीं थी ।
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संपर्क- सुशांत सुप्रिय, A-5001, गौड़
ग्रीन सिटी, वैभव खंड, इंदिरापुरम, ग़ाज़ियाबाद
– 201010 (उ.प्र.)
मो: 8512070086
अच्छी लगी कहानी ... हकीकत से बावस्ता कराती हुई ...
ReplyDeleteअच्छी लगी कहानी ... हकीकत से बावस्ता कराती हुई ...
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