Saturday, 23 February 2019

रोहित ठाकुर की कविताएँ




वहाँ

वहाँ पर कोई
बात नहीं कर रहा था 
इसलिए कोई राह नहीं 
दिख रही थी 
मैंने नदी के साथ की शुरुआत 
बात की 
मुझे पहले सुनाई दी 
मछलियों की पदचाप 
फिर चिड़ियों की चहचहाट 
सुनाई दी 
मुझे लगता है  
हमारी जड़ता टूटती है 
बात करने से 
कोई न हो पास 
तो 
किसी पेड़ से 
मैं बात करूँगा  

जो नदी के साथ बात नहीं करेंगे 
वे जान नहीं पायेंगे
मछलियों की पदचाप 
और 
हत्यारे की पदचाप 
में अन्तर  |


यादों को बाँधा जा सकता है गिटार की तार से

प्रेम को बाँधा जा सकता है 
गिटार की तार से 
यह प्रश्न उस दिन हवा में टँगा रहा
मैंने कहा -
प्रेम को नहीं 
यादों को बाँधा जा सकता है 
गिटार की तार से  
यादें तो बँधी ही रहती है  -
स्थान, लोग और मौसम से
काम से घर लौटते हुए
शहर ख़ूबसूरत दिखने लगता था 
स्कूल के शिक्षक देश का नक्शा दिखाने के बाद कहते थे 
यह देश तुम्हारा है 
कभी संसद से यह आवाज नहीं आयी 
की यह रोटी तुम्हारी है
याद है कुछ लोग हाथों में जूते लेकर चलते थे
सफर में कुछ लोग जूतों को सर के नीचे रख कर सोते थे 
उन लोगों ने कभी क्रांति नहीं की 
पड़ोस के बच्चों ने एक खेल ईज़ाद किया था 
दरभंगा में 
एक बच्चा मुँह पर हथेली रख कर आवाज निकालता था  -
आ वा आ वा वा
फिर कोई दूसरा बच्चा दोहराता था 
एक बार नहीं दो बार -
आ वा आ वा वा 
रात की नीरवता टूटती थी 
बिना किसी जोखिम के 
याद है पिता कहते थे  -
दिन की उदासी का फैलाव ही रात ।


 प्रेम का आविष्कार करती औरतें

प्रेम का आविष्कार करती औरतों 
ने ही कहा होगा 
फूल को फूल और 
चांद को चांद 
हवा में महसूस की होगी 
बेली के फूल की महक 
उन औरतों ने ही 
पहाड़ को कहा होगा पहाड़ 
नदी को कभी सूखने नहीं दिया होगा 
उनकी सांसों से ही 
पिघलता होगा ग्लेशियर  
उन्होंने ही बहिष्कार किया होगा  
ब्रह्माण्ड के सभी ग्रहों का 
चुना होगा इस धरती को 
वे जानती होगी इसी ग्रह पर 
पीले सरसों के फूल खिलते हैं।

कविता

यूरोप में बाजार का विस्तार हुआ है  
    कविता का नहीं 
कुआनो नदी पर लम्बी कविता के बाद 
कई नदियों ने दम तोड़ा 

लापता हो रही हैं लड़कियाँ 
लापता हो रहे हैं बाघ
खिजाब लगाने वालों की संख्या बढ़ी है 

इथियोपियाई औरतें इंतजार कर रही हैं 
अपने बच्चों के मरने का 
संसदीय इतिहास में भूख 
एक अफ़वाह है 
जिसे साबित कर दिया गया है 

सबसे अधिक पढ़ी गई प्रेम की कविताएँ 
पर उम्मीदी से अधिक हुईं हैं हत्यायें 
चक्रवातों के कई नये नाम रखे गये हैं 
शहरों के नाम बदले गये 
यही इस सदी का इतिहास है  
जिसे अगली सदी में पढ़ाया जायेगा
 इतिहास की कक्षाओं में 

राजा के दो सींग होते हैं 
सभी देशों में 
यह बात किसने फैलायी है 
हमारी बचपन की एक कहानी में 
एक नाई था बम्बईया हज्जाम उसने  ।


प्रेम  - 1

मैंने तुम्हें उस समय भी प्रेम किया 
जब स्थगित थी सारी दुनिया भर की बातें 
मैंने तुम्हें 
हर रोज प्रेम किया 
जिस दिन गिलहरी को 
बेदखल कर दिया गया पेड़ से
मैं गिलहरी के संताप के बीच 
तुमसे प्रेम करता रहा
जब एक औरत ने अपने अकेलेपन से ऊब कर 
बादलों के लिये स्वेटर बुना 
उस दिन भी मैं तुम्हारे प्रेम में था 
जब इस सदी के सारे प्रेम पत्र 
किसी ने रख दिया था ज्वालामुखी के मुहाने पर 
उस दिन भी मैंने तुम्हें प्रेम किया 
रेलगाड़ियों में यात्रा करते हुए 
कई शहरों को धोखा दे कर निकलते हुए 
मैंने तुम्हें प्रेम किया बहुत ज्यादा 
मैंने खुद से कई बार कहा
यह शहर जितना प्रेम में है नदी के 
मैंने तुम्हें प्रेम किया उतना ही  |


प्रेम  - 2

उन दोनों के बीच प्रेम था 
पर वह प्रत्यक्ष नहीं था
उन दोनों ने एक दूसरे को कई साल फूल भेजे 
एक - दूसरे के लिये कई नाम रचे 
वे शहर बदलते रहे और एक दूसरे को याद करते रहे
वे कई-कई बार अनायास चलते हुए पीछे मुड़कर देखते थे
उन्होंने कई बार गलियों में झांक कर देखा होगा
फिर कई सदियाँ बीती 
वे दोनों पर्वत बने
पिछली सदी में वे बारिश बने 
इतना मुझे यकीन है 
इस सदी में वे ओस बने
फिर किसी सफेद फूल पर गिरते रहे ।


रोहित ठाकुर
जन्मतिथि - 06/12/1978
शैक्षणिक योग्यता -   परा-स्नातक राजनीति विज्ञान
विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित 
मराठी और पंजाबी भाषा में कविताओं का अनुवाद प्रकाशित 
विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक ब्लॉग पर कविताएँ  
वृत्ति -   सिविल सेवा परीक्षा हेतु शिक्षण
रूचि : - हिन्दी-अंग्रेजी साहित्य अध्ययन 
पत्राचार :- जयंती- प्रकाश बिल्डिंग, काली मंदिर रोड,
संजय गांधी नगर, कंकड़बाग , पटना-800020, बिहार 
मोबाइल नंबर-  7549191353
ईमेल- rrtpatna1@gmail.com

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