Friday 25 November 2016

दीपक शर्मा का व्यंग्य



कितना जताते हैं..


हर किसी की अपनी-अपनी समस्याएं हैं। अधिकतर लोगों को ये शिकायत है कि दुनियां उनसे हर चीज छुपाती है पर हमारी समस्या अधिकतर लोगों वाली नहीं है। हमारी समस्या भी हमारी तरह अजीब है।
मैंने महसूस किया है कि आज कल लोग छुपा नहीं रहे हैं बल्की जता रहे हैं। जिसके पास जो है उसे वो जताने में लगा है। आजकल मुझे हर जगह 'जताने' वाले लोग मिल जाते हैं |
मकान मालिक किराएदार पर अनावश्यक धौंस जमाकर जता रहा है कि घर उसका है।फुटपात पर कार चलाकर कार वाला जता रहा है कि उसके पास कार है। मन्दिर जाओ तो वहां अमीर लोग बड़ा चढ़ावा चढ़ाकर भगवान को ये जता रहे हैं कि "देखो भगवान..! हम ही तुम्हारे सबसे बड़े भक्त हैं।"
आज सुबह न्यूज़ पेपर उठाया तो देखा मुख्य पृष्ठ पर एक डियोड्रेन्ट का ऐड है। डियोड्रेंट ने ये जता दिया कि आज की पहली ख़बर मैं हूं।उस डियो के ऐड पर एक महिला का चित्र था जो ये जताने में लगी थी कि " दुनियां वालों देख लो...मैं महिला ही हूं।" सुबूत के तौर पर वो खुद को प्रदर्शित कर रही थी।
वैसे देखा जाए तो मज़ा छुपाने में नहीं जताने में ही है।पूर्व प्रधानमन्त्री जी खुद को छुपाते थे इसलिए जनता ने नकार दिया वहीं वर्तमान प्रधानमन्त्री जी जताने में विश्वास रखते हैं इसी लिए जनता की आँखो के तारे हैं।इसी तरह पटेलों ने गुजरात में महारैली करके और मराठों ने महाराष्ट्र में रैली करके जता दिया कि प्रदेश उनका है।श्वेत अमेरिकियों ने 'ट्रम्प चाल' चलकर डेमोक्रेट हिलेरी को चित्त करके जता दिया कि अमेरिका आज भी उनका है। इससे पता चलता है ये दुनियां जताने वालों की है।
लोग जाने क्या-क्या जता रहे हैं पर सबसे ज्यादा जो चीज जताई जा रही है वो  'प्रेम' हैं। हर व्यक्ति अवसर की तलाश में है, मौका मिला नहीं कि प्रेम जता दिया, बस जताने का तरीका सबका अलग-अलग है। कुछ लोग एसिड फेंक कर प्रेम  जताते हैं। कुछ लोग लड़कियों के आगे पीछे चक्कर  काट के प्रेम जताते हैं।
इसी बीच देशप्रेम की सुनामी गई है।हर कोई देशप्रेम जता रहा है। भला हो सोशल मीडिया का जो हर किसी को देशप्रेम  जताने का अवसर दे रहा है। सारे भड़के हुए देशभक्त इसी तलाश में हैं कि कोई व्यक्ति वर्तमान सरकार की कोई आलोचना कर दे और उन्हें देशप्रेम जताने का मौका मिल जाए। ये सारे फेसबुकिया देशभक्त अपना देशप्रेम जताने के चक्कर में किसी को भी गद्दार से शुरूवात करके आतंकवादी तक बना देते हैं।इस तरह अपने अन्दर मची देशप्रेम की खुजली शान्त करते हैं। ये जताने वालों की ज्याती कब तक चलेगी भगवान जाने पर मैने भी आज जता दिया है कि हम तो अपने ही राग में गाएंगे जिसे नहीं पसन्द है...हमारी बला से..!

- दीपक शर्मा 'सार्थक'

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