Sunday 15 March 2015

तीन कवितायेँ : अनवर सुहैल


अनवर सुहैल की तीन कवितायेँ

एक
----------
चाहे कितना ज़रूरी हो काम
चाहे कई दिनों से किया न हो आराम
फिर भी आपके आगमन की प्रतीक्षा करना
आपके आराम की फ़िक्र करना
खुद के काम मुल्तवी कर
आपके साथ दौड़ना-भागना
क्या शातिर होने की सनद है...
संजीदा रहना
मददगार होना
अपने दुःख भुलाकर खुशमिजाज़ दीखना
क्या शातिर होने की सनद है
और अगर ऐसा है
तो बेशक मैं शातिर हूँ...

दो
---------
काहे एतराज़ करते हो
इत्ती सी तो बात हुई
स्कूटी ही तो चलाई
एटीएम से रुपये ही तो निकाले
सब्जी-सौदा ही तो ख़रीदा
फिर किचन का नही सम्भाला था
फिर काहे एतराज़ करते हो...
काहे एतराज़ करते हो
इत्ती सी तो बात हुई
स्कूटी उठाई और
बिटिया को ट्यूशन से ले आई
फिर कपड़े नही धोये क्या
तुम्हारे शर्ट पर बटन नही टाँके क्या
फिर काहे एतराज़ करते हो...
काहे एतराज़ करते हो
इत्ती सी तो बात हुई
स्कूटी पर सवार हो, शुगर की दवाई
अपनी माँ को थी पहुंचाई
फिर कपड़े नही प्रेस किये क्या
बिटिया को होमवर्क में मदद नही किया क्य़ा
फिर काहे एतराज़ करते हो....
देखो जी, ये रूठा-रूठी के खेल छोडो
स्कूटी और स्त्री की एक नई पहचान को
जान जाओ...मान जाओ.....
न मानो तो अपनी बला से....
हमें घर-बाहर दोनों संभालना है...
बहुत काम है...
करते रहो एतराज़....

तीन
-----------
कैसे कह दिया कि थक गए
अरे, तुम नही खटोगे तो कौन खटेगा
खटते रहना तो तुम्हारी जात है
बिना खटे खाना हराम है तुम्हारे लिए
मूतने गए थे तीन बार तुम
तीन बार पानी पिए थे
जाने कितनी दफा खैनी खाए
उसमे आराम नही किया था क्या....
कैसे कह दिया कि थक गए
और कहते हो कि टाइम हो गया साहेब
बाकी के काम अभी निपटे कहाँ
क्या समय आ गया
नान-जात के लोग भी अब
पहनने लगे घड़ियाँ
घोर कलजुग आ गया भाई
कैसे होगी गिरस्तों की पोसाई....
कैसे कह दिया कि थक गए
काम मुंह बाए खड़ा है
ऊपर से तुर्रा ये कि पगार अभी चाहिए
का इहाँ कऊनो पेड़ लगा है
कि हिला दें तो पईसा झरने लगे
पहले काम तो निपटाओ
फिर मिलना कल तब सोचेंगे...
का कहा घरवाली बीमार है
ईलाज कराना है
तो काहे काम पर आया रे...
हर दिन एक नया बहाना है
जा कल से तुझे अब
काम पर नही लगाना है....

--
अनवर सुहैल
http://www.rachnasansaar.blogspot.in/
http://www.sanketpatrika.webnode.com/
http://www.pehchan.hpage.in/
mob: 09907978108

No comments:

Post a Comment

गाँधी होने का अर्थ

गांधी जयंती पर विशेष आज जब सांप्रदायिकता अनेक रूपों में अपना वीभत्स प्रदर्शन कर रही है , आतंकवाद पूरी दुनिया में निरर्थक हत्याएं कर रहा है...