जी हाँ सुकून नहीं मिल रहा है, दिल में घबराहट है | सही बात से डर लगता है,
गलत काम में मन लगता है | थाने में दीवान रिपोर्ट नहीं लिखता, तहसील में इन्तखाब
लेना है, लेखपाल पैसे मांगता है, आप पैसे से तंग है- तो बालमखीरा का चूरन खाइए, सब
काम हो जायेगा |
बैनामा कराना है, रजिस्ट्रार घूस मांगता है, बी.डी.ओ. ऑफिस में काम पड़ गया,
पैसे के अभाव में बाबू काम नहीं करता- बालमखीरा का चूरन खाइए सब काम फटाफट होने
लगेंगे |
जी साब ! यह एक ऐसा चूरन है जो केवल आम आदमियों के लिए ही नहीं बल्कि सभी
प्रकार के सभी लोगों की सभी मर्जों के लिए बनाया गया है | इसका फार्मूला कोई नया
नहीं, काफी पुराना है सभी जानते हैं | चूरन बनाने में कोई मेहनत नहीं, झूठ,
मक्कारी, घूस-लूट, चोरी-बदमाशी, बेईमानी इत्यादि सभी को बराबर मात्र में लेकर
इमामदस्ते में कूटकर किसी चालाकी भरे कपडे से छानकर चिमचागिरी या चापलूसी का नमक
मिला लें- चूरन तैयार | परधानी का इलेक्शन लड़ना है, विधायकी का चुनाव जीतना है,
दिमाग काम नही करता, वोटों की गणित ठीक नहीं बैठती......|
बालमखीरा का चूरन खाइए, आराम पाइए |
जोड़तोड़ की सियासत करनी है, सरकार नहीं बन पा रही है, नेता को चाहिए कि वह
बालमखीरा का चूरन खाए..और आराम पाए |
इसके इस्तेमाल से दिमाग ठंडा रहता है, खाया पिया सब हजम हो जाता है, पाचन
शक्ति तेज हो जाती है | बालमखीरा का चूरन खाएं और काम पर जाएँ |
फर्जी काम कराना है, बगैर घूस के काम में मन नहीं लगता- डर का बुखार रहता है,
बालमखीरा का चूरन खाइए |
भाइयों एवं बहनों ! यह चूरन सरकारी कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से तैयार
किया गया है | लेकिन सत्ता में बैठे नेतागण भी इसे लेकर फायदा उठा सकते हैं- कहीं
का भी बजट बनाना है, हेरा-फेरी करनी है, गरीबों का खून चूसना है- बालमखीरा का चूरन
खाइए...दिमाग दुरुस्त |
4.
पैसे के लिए चोरी करनी है, राहजनी करनी है, धर्म के काम से जी ऊबता है- बालमखीरा
का चूरन खाइए ! सब काम हो जायेगा |
जी साब ! इस भूमंडलीकरण के जमाने में ऐसा चूरन कहीं नहीं मिलेगा- चूरन कहिये
और दंगा कराइए....चोट चपाट का खतरा खत्म |
चोरी की गाड़ी है, कागज़ कम्पलीट नहीं हैं, गाड़ी का हुलिया बदलवाने से पहले खाइए
सिर्फ बालमखीरा का चूरन....कभी नहीं फसेंगे | आपके पास डाक्टरी की डिग्री नहीं है,
बच्चे भूखों मरते हैं, झोलाछाप बनना है | आपकी तमाम मजबूरियां हैं- चूरन खाकर जाएँ
कुछ नहीं होगा |
दफ्तर में काम करते हैं, रिश्वत नहीं मिलती, गुस्सा आता है- बालमखीरा का चूरन
| कहाँ तक गिनायें साब...! इसके फायदे ही फायदे हैं, देश के भीड़तंत्र में इससे
बढ़िया कोई दवाई नहीं | बालमखीरा का चूरन खाइए– आराम पाइए |
मुकदमा चल रहा है, पेशी लम्बी करवाने के पेशकार पैसे मांगता है | बालमखीरा का
चूरन खाइए और पेशकार को भी खिलाइए- दोनों लोग पूरा आराम पाइए | वकील टरकाता है, पेशी
पर पेशी लगवाता है, मुंशी लड़ता है, मास्टर भगाता है, फर्जी टी.सी. नहीं बनाता |
डिप्टी आपका मुहँ ताकता है, उसकी कलम रुकी है, आदेश पारित नहीं करता- बालमखीरा का
चूरन खाइए, खिलाइए | आराम पाइए | जी हाँ ! इम्तेहान नज़दीक हैं, पढाई नहीं की है |
नक़ल का सहारा लेना है | गेस पेपर देखकर उलझन होती है | सोते वक़्त गरम पानी से चूरन
लें, पर्चा बढ़िया होगा |
हाँ जी ... हारा हुआ मुकदमा जीतना है | बेंच अनुकूल नहीं बैठती, वकील गड्डी की
डिमांड करता है | चैम्बर में चूरन खाकर घुसिए, जज अपने आप खड़ा हो जायेगा, लेकिन
ध्यान रखें यह चूरन आप जज को भी खिलाएं- काम फटाफट हो जायेगा | बस बालमखीरा का
चूरन खाइए और पूरी आराम पाइए.....|
जी हाँ एक तरफ हम वैश्वीकरण की ओर जा रहें हैं तो दूसरी ओर इक्कीसवी सदी की
ओर- दोनों ओर चाँदी ही चांदी है | ऐसे में हाजमा ख़राब होना कोई खास बात नही है |
एक बार फिर हमारी बात जरूर मान लीजिये- बालमखीरा के चूरन की पुड़िया अपने साथ जरूर
रखें | सब ओर सुनहरा दिखाई देने लगेगा | ध्यान रखें- बालमखीरा का चूरन !! 5.
मैं बार-बार समझाने की जरूरत नहीं समझता | जब आप खायेंगे तो खुद ही पता चल
जायेगा कि बालमखीरा के चूरन में कितनी तासीर है |
न उर्दू का झंझट न अंग्रेजी का फिर हिंदी का तो सवाल ही नहीं उठता क्योंकि हम
सब ‘हिन्दुस्तानी’ जो हो गये हैं न | हिंदुस्तान के सभी भाषाभाषियों के लिए- सिर्फ
बालमखीरा का चूरन |
जी हाँ ! रात-रात भर नींद नहीं पड़ती | सोचते-सोचते दिमाग दर्द करने लगता, बिज़नेस
में घाटा आ गया है | वैट लागू है, विरोध की शक्ति नाकाम है- सिर्फ एक ही दवा,
बालमखीरा का चूरन!
हाँ साब ! “अधाधुंध दरबार मा जो यह
चूरन खाय, गदहा ते मानव बने बुद्धि सुधरि सब जाय |”
-- श्री प्रकाश
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