Wednesday, 10 March 2021

पुस्तक समीक्षा


लोकरंजक ज्ञानवर्धक कृति : कहावतों की कविताएं

समीक्षक: डॉ. नितिन सेठी

सी 231,शाहदाना कॉलोनी, बरेली-243005 (उत्तर प्रदेश)

मो.: 9027422306

किसी भी भाषा की समृद्धि में उसके शब्द भंडार के साथ-साथ उसके मुहावरे और लोकोक्तियांभी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हिंदी भाषा भी इससे अछूती नहीं है। कहावतें सामान्य तौर पर अपने में पूर्ण वाक्य की तरह जनसामान्य द्वारा प्रयोग में लाई जाती हैं।लोक में लंबे समय तक अनजाने ही इनका प्रयोग एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक परंपरा के रूप में किया जाता है। मुहावरे और कहावतें सामाजिक जीवन का संदर्भ होती हैं। चार से आठ शब्दों के समूह में रची-बची कहावतों में अनेकानेक पते की बातों को गागर में सागर के समान भर दिया जाता है। बड़ों के साथ-साथ बच्चों को व्यावहारिक ज्ञान देने में भी कहावतों का अलग ही महत्व है। बच्चों के लिए कहावतों को आधार बनाकर अनेक साहित्यकारों ने बाल कथाओं औरकविताओं आदि का सृजन किया है। डॉ वेद मित्र शुक्ल वर्तमान समय में बाल साहित्य के क्षेत्र में जाना माना नाम हैं। आपकी पिछली बापू से सीखें के पश्चात् आपकी नवीन कृतिकहावतों की कविताएं प्रकाशित हुई है, जिसमें कुल 35 कहावतों को आधार बनाकर इतनी ही बाल कविताओं का सृजन किया गया है। सभी कविताएं अपने आप में जितनी मनोरंजक और आकर्षक हैं, उतनी ही प्रेरक और ज्ञानवर्धक भी।

‘एक अनार सौ बीमार’,‘अंगूर खट्टे हैं’,‘ढपोर शंख’,‘जिसकी लाठी भैंस उसी की’,‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’,‘एक से भले दो’,‘गरीबी में आटा गीला’,‘अकल बड़ी या भैंस’,‘अंधों का हाथी’,‘रंगा सियार’,‘कौवा कान ले गया’,‘हवाई महल बनाना’,‘हर्र लगे न फिटकरी रंग चोखा आए’,जैसीकहावतों को आधार बनाकर लिखी गई ये कविताएं सहज ही पाठकों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती हैं।‘एक अनार सौ बीमार’ को वेद मित्र इस तरह अभिव्यक्त करते हैं--

कई चाहने वाले थे

 किंतु, नगर में एक अनार,

तब से चली कहावत है

“एक अनार सौ बीमार|”

‘अंगूर खट्टे हैं’ की अभिव्यक्ति देखिए--

उछली-कूदी पाने को पर

 फल लटके थे दूर बहुत,

आखिर बोली हार मानकर

“खट्टे हैं अंगूर बहुत|”

‘ढपोरशंख’ की अभिव्यक्ति देखिए--

वह ढपोरशंख कहलाता

 बात करे जो बढ़-चढ़कर,

 करने की बारी आए जब

काम करे ना रत्ती भर |

वेद मित्र ने इन कहावतों को भलीभांति समझाने के लिए बारह से सोलह पंक्तियों की एक कहानी बनाई है और उस कहावत को लेते हुए अपनी बात पूर्ण की है।

‘आए थे हरिभजन को, ओटन लगे कपास’ कविता कबीरदास के संदर्भ में है और पांच दोहों में लिखी गई है।कवि लिखता है—

 चिंता में घर बार की, पड़े कबीरा दास,

“आए थे हरिभजन को, ओटन लगे कपास|”

‘कौवा कान ले गया’जैसी कहावत कोसमझानेकेलिए वेद मित्र कहते हैं—

अपनी हरकत के कारण ही

 बेवकूफ जाने जाते हैं,

बच्चो!‘कौवा कान ले गया,’

 तभी कहावत दोहराते हैं|

संकट में अपने प्राण बचाने की सीख देती पंक्तियां महत्वपूर्ण हैं--

 जब कोई पत्थर मारे तो ‘काटो मत पर फुफकारो,’

 संकट में जब प्राण पड़ें तो मत अपना जीवन हारो|

‘हर्र लगे ना फिटकरी, रंग चोखा आए’ की  भावाभिव्यक्ति देखिए--

 नानी तो ऐसी ही थी कि

बिना खर्च के काम बनाए,

 हर्र लगे न फिटकरी और

रंग चोखा आ जाए|

संग्रह की अधिकांश कविताएं बच्चों को संबोधित करके लिखी गई हैं।इनमें बच्चों से सीधा-सीधा संवाद स्थापित किया गया है। कुछ कहावतें लंबी भी हैं जैसे,‘हाथ पांव की काहिली, मुंह में मूंछें जाएं हैं’,‘माया के तीन नाम परसा-परसू-परसराम’, ‘चूल्हे पर तलवार चलाई तौऊचुखरिया मारन पाई’, ‘खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है’ आदि| इन पर भी बहुत रोचक ढंग से कवि ने कविताओं का सृजन किया है। इन कहावतों में एक ओर जहां पशु, पक्षी, फल आदि आ गए हैं तो दूसरी ओर इन्हीं के साथ- साथ बच्चों को सुंदर सीख भी प्रदान की गई है। इन कविताओं की संप्रेषण क्षमता गजब की है क्योंकि बहुत छोटी-छोटी पंक्तियोमें पूरी कहावत का भाव स्पष्ट हो गया है। कवि की रचनाधर्मिता की सार्थकता भी इसी में है कि बच्चों में श्रेष्ठ जीवन मूल्यों की अभिवृद्धि हो सके।ये कविताएं बच्चों में जिज्ञासा और कौतूहल भी बढ़ा देती हैं। बच्चे अपनी लोक संस्कृति को भी इनकहावतोंकीकविताओं के माध्यम से जान सकते हैं। हम बड़ों का भी यह कर्तव्य होना चाहिए कि इन कहावतों से संबंधित संपूर्ण जानकारी बच्चों को प्रदान करें ताकि वेअपनी भाषा के विकास की गति को भी जान सकें। इन कविताओं में एक साथ मनोरंजन, कौतूहल, ज्ञानवर्धन,लोक- संस्कृति जैसे तत्व समाहित हो गए हैं। आशा है कि प्रस्तुत कृति का साहित्य जगत में भरपूर स्वागत होगा।

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पुस्तक: कहावतों की कविताएं (बाल कविता-संग्रह)

रचनाकार: डॉ. वेद मित्रशुक्ल, प्रकाशक: विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान, कुरुक्षेत्र

संस्करण: 2019, पृष्ठ: 40, मूल्य: 40/-

 

 

 

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर समीक्षा।
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    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  2. महत्वपूर्ण समीक्षा, आभार!

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  3. बहुत सुंदर समीक्षा

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  4. बेहतरीन अभिव्यक्ति 👍👍🙏

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  5. बेहतरीन अभिव्यक्ति 👍👍🙏

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