'अभिप्राय' के इस अंक में प्रस्तुत हैं युवा कवि सुधांशु पन्त की कुछ नयी कविताएँ -
कागज पर हिमालय
आप पद के योग्य हो,
या फिर अयोग्य।
काम आता हो,
या न आता हो।
निष्ठा, नैतिकता, संवेदनशीलता,
शब्द आपके शब्दकोश में न हो।
कुछ फर्क नहीं पड़ता,
बात सच मानिये।।
ज़नाब चलेगा,
चलेगा क्या दौड़ेगा।
अगर खड़ा कर लेते हो,
कागज पर हिमालय।।
रोटियां
आप से बड़ा,
कोई खुशनसीब नहीं।
अगर आप सिर्फ,
कागज़ पे ग़रीब हो।।
आप से बड़ा,
कोई बदनसीब नहीं
अगर आप सच में,
कोई गरीब हो।।
अगर ऐसा है तो,
हमेशा तैयार रहो।
तुम्हारी अर्थी की आग में,
सिकेंगी सियासी रोटियां।।
वृद्धाश्रम
जिन माता -पिता ने गुजारी,
अपनी सारी उम्र।
अपनी औलादों की,
अच्छी परवरिश में।।
गाड़ी दी,बंगला दिया,
अच्छा बैंक बैलेंस दिया।
और भी बहुत कुछ दिया,
सिवाय संस्कार के।।
ऐसे ही माता -पिता से,
भरे हुए हैं।
सारे के सारे ,
शहर के वृद्धाश्रम।।
बेरोज़गार
जो योग्यता में,
और अनुभव में।
हर तरह से ,
तुमसे है अट्ठारह।।
वो भी देते हैं,
एक से बढ़कर एक।
हजारों नायाब नुस्ख़े,
जीवन यापन के।।
जब तलक तुम्हारी,
जेब रहती है हल्की।
और तुम होते हो,
महज एक बेरोजगार।।
संक्रमण
अबकी गाँधी जयंती पर,
गाँधी के बंदरों ने।
खा लिया गलती से,
नेताओं का जूठा अल्पाहार।।
नेताजी का जूठा,
जाहिर है।
संक्रमण तो होना था,
और हुआ भी।।
मुनाफा न हो तो अब,
पहले वाला देखता नहीं।
दूसरा वाला सुनता नहीं,
तीसरा वाला बोलता नहीं।।
संज्ञा
जन्म लिया तो,
रामदुलारे की मुनिया बन गयी।
कुछ बड़ी हुई तो,
पप्पू की बहनिया बन गयी।।
ब्याह हो गया तो,
संजय की बहुरिया बन गयी।
संतान को जन्म दिया तो,
छोटू की अम्मा बन गयी।।
अपना तेरा नाम तो,
कभी आया ही नहीं।
जीवन से मृत्यु तक,
तू केवल संज्ञा बन गई।।
मीडिया
बेसिर-पैर की ख़बर को
प्रमुखता से दिखाती
जो दिखाना चाहिए
उसको कुशलता से छिपाती
चौथाई समय विज्ञापन
चौथाई समय फ़िल्मी नंगापन
चौथाई समय ज्योतिष चर्चा
बाकी चौथाई मसखरे बुलाती
टीआरपी के मकड़जाल में
फँसकर अपनी नैतिकता खोती
ऊँची बिल्डिंग के एक कोने में
मीडिया की आत्मा है रोती |
सुधांशु पन्त S/o श्री ललित चन्द्र पन्त
जन्मतिथि- 07/05/1980
शिक्षा- परास्नातक- मानव विज्ञान,
पत्रकारिता
एवं जनसंचार, इतिहास, शिक्षाशास्त्र (नेट)
रुचियां- भ्रमण, साहित्य अध्य्यन, लेखन
सम्प्रति- सहायक अध्यापक, बेसिक शिक्षा परिषद, उत्तरप्रदेश
संपर्क सूत्र- 9506082992, pant.sudhanshu80@gmail.com
Waah..ek number👌👏
ReplyDeleteAashateet lekhan, Jeevan -lakshya purna ho, Path sugam ho, Chirkamna��
ReplyDelete🙌
ReplyDeleteSuper bhiya ji
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचनाएँ।
ReplyDeleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteNice beta
ReplyDeleteNice beta
ReplyDelete