इतिहास के क्रूर पन्नों पे
समय तो दर्ज़ करेगा
हर गुज़रता लम्हा
मुँह में उगे मुहांसों से लेकर
दिल की गहराइयों में छिपी क्रांति को
खोल के रख देगा निर्विकार आईने की तरह
अनगिनत सवाल रोकेंगे रास्ता
तेरी मेरी
हम सबकी भूमिका पे
जो तटस्थ रहेंगे
या लड़ेंगे
समय तो लिखेगा
उन सब का इतिहास
क्या सामना करोगे इन सवालों का
सृष्टि के रहने तक
युग के बदलने तक
भविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
वर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...?
हर गुज़रता लम्हा
मुँह में उगे मुहांसों से लेकर
दिल की गहराइयों में छिपी क्रांति को
खोल के रख देगा निर्विकार आईने की तरह
अनगिनत सवाल रोकेंगे रास्ता
तेरी मेरी
हम सबकी भूमिका पे
जो तटस्थ रहेंगे
या लड़ेंगे
समय तो लिखेगा
उन सब का इतिहास
क्या सामना करोगे इन सवालों का
सृष्टि के रहने तक
युग के बदलने तक
भविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
वर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...?
दिगम्बर नासवा