tag:blogger.com,1999:blog-3447093874982861178.post1841819481578400068..comments2024-02-27T02:30:50.715-08:00Comments on अभिप्राय: तीन कवि : तीन कवितायेँ - 10Rahul Devhttp://www.blogger.com/profile/15972309947622573643noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3447093874982861178.post-26644593973999549722015-12-18T22:03:54.678-08:002015-12-18T22:03:54.678-08:00सभी कवितायें बहुत अच्छी लगीं , विशेषतः संध्या सिंह...सभी कवितायें बहुत अच्छी लगीं , विशेषतः संध्या सिंह का सकारत्मक दृष्टिकोण भीतर तक हलचल उत्पन्न करता हुआ ।।। बहुत बधाई अनामिका , शैलजा पाठक और संध्या सिंह को ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16376613957632735653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447093874982861178.post-53670857921853341172015-08-31T08:50:41.142-07:002015-08-31T08:50:41.142-07:00सभी कविताएं माशाल्लाह
सन्ध्या सिंह बेमिसाल
सभी कविताएं माशाल्लाह<br />सन्ध्या सिंह बेमिसाल<br />shobha rastogi shobhahttps://www.blogger.com/profile/00984554737509897666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447093874982861178.post-56658138135021797152014-10-28T06:13:56.212-07:002014-10-28T06:13:56.212-07:00बेहतरीन कवितायें तीनों कवयित्री बधाई की पात्र हैं ...बेहतरीन कवितायें तीनों कवयित्री बधाई की पात्र हैं vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447093874982861178.post-4179290089728983442014-10-28T02:09:21.367-07:002014-10-28T02:09:21.367-07:00कम सुनने वाली औरतें ने जना था तुम्हें
बेहोश हालत म...कम सुनने वाली औरतें ने जना था तुम्हें<br />बेहोश हालत में सुन ली थी तुमहरा पहला रोना .<br />तुम्हें याद है आखिरी बार तुमने कब सुना था इन्हें ?<br />तुम्हारी साँसों के आहट को सुनने वाली औरतें<br />तुम्हारी ही माँ थी बहन थी कभी पत्नी थी एक औरत थी<br />जो आँख से सुनती रही, समझती रही, आँख मूंद चुपचाप चली गई<br /><br />ये आँख भर सोखती रही तुम्हारी आवाज<br />तुम कान भर भी ना सुन सके ....<br />*******<br />मैं खुद को समेट कर<br />बर्फ हो जाऊंगी<br />और टिकी रहूँगी<br />पर्वत के शिखर के ज़रा से हिस्से पर<br />जिसमे गड़ी रहेगी<br />समझौतों से बीच से बच कर आयी<br />एक जिद की पताका ...<br />और जहां नहीं उगेगा<br />कोहरे को चीर कर<br />तुम्हारी साज़िश का कोई सूरज<br />मुझे पिघलाने के लिए !<br />**********<br />अब मेरे पास भला क्या है<br />अगर तुम्हें ऐसा लगता है<br />कुछ है जो मेरी इन हड्डियों में है अब तक<br />मसलन कि आग<br />तो आओ<br />अपनी लुकाठी सुलगाओ।...............तीनों रचनाकारों को पढ़ना बहुत अच्छा लगा ..धन्यवाद राहुल जी <br /><br /><br />Meena Pathakhttps://www.blogger.com/profile/09608828417708120846noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447093874982861178.post-20656212838132772782014-10-27T10:15:00.231-07:002014-10-27T10:15:00.231-07:00Vaah! Achchha chayan! Anamika ji ko der baad padha...Vaah! Achchha chayan! Anamika ji ko der baad padha...Sandhya ji ko pahli baar ...Shailja ko roj padhta hun... Bahut achchha lga...Haardik dhanyavaad Rahul ji!कमल जीत चौधरीhttps://www.blogger.com/profile/02329691172978131438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447093874982861178.post-79584507885367098792014-10-27T04:08:27.690-07:002014-10-27T04:08:27.690-07:00वाह एक
वाह दो
वाह तीन
कंडवाल मोहन मदनवाह एक<br />वाह दो<br />वाह तीन<br />कंडवाल मोहन मदनAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447093874982861178.post-15491687013697033142014-10-26T20:11:45.903-07:002014-10-26T20:11:45.903-07:00सभी कविताएँ बेहतरीन और सुन्दर चयन सभी कविताएँ बेहतरीन और सुन्दर चयन अनिल कार्कीhttps://www.blogger.com/profile/02042036588626433736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447093874982861178.post-1921460875129210712014-10-26T20:08:03.849-07:002014-10-26T20:08:03.849-07:00मैं खुद को समेट कर
बर्फ हो जाऊंगी
और टिकी रहूँगी
प...मैं खुद को समेट कर<br />बर्फ हो जाऊंगी<br />और टिकी रहूँगी<br />पर्वत के शिखर के ज़रा से हिस्से पर---- या फिर प्रतीकात्मक अर्थ बिखेरती यह पंक्तियाँ ---- चूहे बहुत चटोरे थे<br />घुनों को पता ही नहीं था<br />कुनबा सीमित रखने का नुस्खा<br />. सो, सबों ने मिल-बाँटकर<br />मेरा भविष्य तीन चौथाई<br />और अतीत आधा<br />मज़े से हज़म कर लिया। मन भावन -स्त्री अहसास की सुन्दर रचनाएँ हैं। बधाई सभी रचनाकारों को। मंजुल भटनागर https://www.blogger.com/profile/08251331220118304121noreply@blogger.com