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गाँधी होने का अर्थ
गांधी जयंती पर विशेष आज जब सांप्रदायिकता अनेक रूपों में अपना वीभत्स प्रदर्शन कर रही है , आतंकवाद पूरी दुनिया में निरर्थक हत्याएं कर रहा है...
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रमाकान्त दायमा एक मँजे हुए अभिनेता हैं | मुंबई शहर की भीड़-भाड़ में तमाम व्यस्तताओं के बीच समय निकालकर वे कविताएँ भी लिखते रहे हैं | इन कव...
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बलचनमा नागार्जुन प्रेमचंद की परंपरा के उपन्यासकार हैं । अंतर यह है कि जहाँ प्रेमचंद ने उत्तर प्रदेश के अवध-बनारस क्षेत्र के किसानों ...
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रघुवीर सहाय की रचनाओं में बीसवीं शताब्दी का भारतीय समाज और राजनीति अपने पूरे विरोधाभाषों के साथ मौजूद है । बीसवीं सदी ऐसी सदी है जिसमे...
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